बुक्सा जनजाति

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बुक्सा जनजाति (अंग्रेज़ी: Buksa Tribe) अथवा भोक्सा जनजाति उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में छोटी-छोटी ग्रामीण बस्तियों में निवास करती है। इस जनजाति के लोगों का कद और आँखें छोटी होती हैं। उनकी पलकें भारी, चेहरा चौड़ा एवं नाक चपटी होती है। कुल मिलाकर इनका सम्पूर्ण चेहरा ही चौड़ा दिखाई देता है। जबड़े मोटे और निकले हुए तथा दाढ़ी और मूंछे धनी और बड़ी होती हैं।

  • बुक्सा लोग प्रमुख रूप से हिन्दी भाषा बोलते हैं। इनमें जो लोग लिखना-पढ़ना जानते हैं, वे देवनागरी लिपि का प्रयोग करते हैं।
  • इनका मुख्य भोजन मछलीचावल है। इसके अलावा ये लोग मक्कागेहूँ की रोटी और दूध-दही का प्रयोग करते हैं।
  • इन लोगों में बन्दर, गाय और मोर का माँस खाना वर्जित है।
  • बुक्सा पुरुष वेशभूषा में धोती, कुर्ता, सदरी और सिर पर पगड़ी धारण करते हैं।
  • नगरों में रहने वाले पुरुष गाँधी टोपी, कोट, ढीली पेन्ट और चमड़े के जूते, चप्पल आदि पहनते हैं।
  • स्त्रियाँ पहले गहरे लाल, नीले या काले रंग की छींट का ढीला लहंगा पहनती थीं और चोली (अंगिया) के साथ ओढ़नी (चुनरी) सिर पर पहनती थीं, लेकिन अब स्त्रियों में साड़ी, ब्लाउज, स्वेटर एवं कार्कीगन का प्रचलन सामान्य हो गया है।[1]
  • उत्तर प्रदेश में बुक्सा जनजाति विकास परियोजना 1983-1984 में प्रारंभ की गयी थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उत्तर प्रदेश की प्रमुख जनजातियाँ (हिंदी) meragk.in। अभिगमन तिथि: 21 जुलाई, 2022।

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