बैगा जनजाति
बैगा जनजाति मध्य प्रदेश की आदिम जनजातियों में से एक है। यह मध्य प्रदेश की तीसरी बड़ी जनजाति है। इस जनजाति की उपजातियों में 'नरोतिया', 'भरोतिया', 'रायमैना', 'कंठमैना' और 'रेमैना' आदि प्रमुख हैं। बैगा लोगों में संयुक्त परिवार की प्रथा पायी जाती है। इनमें मुकद्दम गाँव का मुखिया होता है।
- 'बैगा' का अर्थ होता है- "ओझा या शमन"। इस जाति के लोग झाड़-फूँक और अंध विश्वास जैसी परम्पराओं में विश्वास करते हैं।
- इस जाति का मुख्य व्यवसाय झूम खेती एवं शिकार करना है।
- बैगा लोग डिंडोरी (बैगाचक) मण्डला, बालाघाट, शहडोल में निवास करते है।
- दीमक, चीटीं, चूहा और कंदमूल आदि का ये लोग सेवन करते है। इनके प्रमुख देवी-देवता बूड़ादेव, दूल्हादेव और भवानी माता आदि हैं।
- इस जाति के लोग शेर को अपना अनुज मानते हैं।
- इनमें सेवा विवाह की 'लामझेना', 'लामिया' और 'लमसेना' प्रथा प्रचलित है।
- बैगा जनजाति के लोग पीतल, तांबे और एल्यूमीनियम के आभूषण पहनते हैं।
- इस जाति में ददरिया प्रेम पर आधारित नृत्य दशहरे पर एवं परधौनी लोक नृत्य विवाह के अवसर पर होता है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मध्य प्रदेश की जनजातियाँ (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 अक्टूबर, 2012।
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