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*नंबूदिरी जाति नायरों की महत्त्वपूर्ण योद्धा जाति के साथ विशिष्ट वैवाहिक संधि का पालन करती है।  
*नंबूदिरी जाति नायरों की महत्त्वपूर्ण योद्धा जाति के साथ विशिष्ट वैवाहिक संधि का पालन करती है।  
*यद्यपि नंबूदिरी परिवार का ज्येष्ठ बेटा परंपरागत रूप से एक नंबूदिरी महिला से [[विवाह]] कर सगोत्रीय विवाह की विशिष्ट जातीय परंपरा का पालन करता है, छोटे बेटे नायर महिलाओं से विवाह करते हैं तथा नायरों की मातृवंशानुसार उत्पत्ति की प्रणाली का पालन करते हैं।  
*यद्यपि नंबूदिरी परिवार का ज्येष्ठ बेटा परंपरागत रूप से एक नंबूदिरी महिला से [[विवाह]] कर सगोत्रीय विवाह की विशिष्ट जातीय परंपरा का पालन करता है, छोटे बेटे नायर महिलाओं से विवाह करते हैं तथा नायरों की मातृवंशानुसार उत्पत्ति की प्रणाली का पालन करते हैं।  
*दक्षिण भारत के अन्य [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के विपरीत नंबूदिरी अपने पुरोहित दर्जे पर ज्यादा ज़ोर देते हैं तथा सामान्यत: व्यापार में संलग्न नहीं होते।  
*दक्षिण भारत के अन्य [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] के विपरीत नंबूदिरी अपने पुरोहित दर्जे पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं तथा सामान्यत: व्यापार में संलग्न नहीं होते।  
*केरल के मुख्य भू-स्वामी होने के कारण वे अपने स्वामित्व वाली भूमि से संपत्ति अर्जित करते हैं।
*केरल के मुख्य भू-स्वामी होने के कारण वे अपने स्वामित्व वाली भूमि से संपत्ति अर्जित करते हैं।
*नंबूदिरी जाति में पांच उपजातियां हैं: तंपुराक्कल का दर्जा सर्वोच्च है, जो आद्याओं के साथ सगोत्रीय विवाह करने वाली एक उपजाति बनाती हैं।  
*नंबूदिरी जाति में पांच उपजातियां हैं: तंपुराक्कल का दर्जा सर्वोच्च है, जो आद्याओं के साथ सगोत्रीय विवाह करने वाली एक उपजाति बनाती हैं।  

12:18, 20 सितम्बर 2011 का अवतरण

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  • नंबूदिरी भारतीय राज्य केरल की प्रमुख जाति है।
  • इसके अत्यधिक रूढ़िवादी सदस्य स्वयं को प्राचीन वैदिक धर्म तथा परंपरागत हिंदू पद्धति का सच्चा वाहक मानते हैं।
  • नंबूदिरी जाति नायरों की महत्त्वपूर्ण योद्धा जाति के साथ विशिष्ट वैवाहिक संधि का पालन करती है।
  • यद्यपि नंबूदिरी परिवार का ज्येष्ठ बेटा परंपरागत रूप से एक नंबूदिरी महिला से विवाह कर सगोत्रीय विवाह की विशिष्ट जातीय परंपरा का पालन करता है, छोटे बेटे नायर महिलाओं से विवाह करते हैं तथा नायरों की मातृवंशानुसार उत्पत्ति की प्रणाली का पालन करते हैं।
  • दक्षिण भारत के अन्य ब्राह्मणों के विपरीत नंबूदिरी अपने पुरोहित दर्जे पर ज़्यादा ज़ोर देते हैं तथा सामान्यत: व्यापार में संलग्न नहीं होते।
  • केरल के मुख्य भू-स्वामी होने के कारण वे अपने स्वामित्व वाली भूमि से संपत्ति अर्जित करते हैं।
  • नंबूदिरी जाति में पांच उपजातियां हैं: तंपुराक्कल का दर्जा सर्वोच्च है, जो आद्याओं के साथ सगोत्रीय विवाह करने वाली एक उपजाति बनाती हैं।
  • आद्या, मंदिरों के पुजारी होते हैं। विशिष्ट, जिनमें कुछ कर्मकांडी होते हैं। जबकि अन्य परंपरागत शिक्षा तथा दर्शनशास्त्र में संलग्न होते हैं।
  • सामान्य, वेदों का अध्ययन करते है; तथा जातिमत्रा, उपचार की आयुर्वेदिक पद्धति के प्रमुख चिकित्सक होते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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