"प्रांगण:मुखपृष्ठ/विज्ञान": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 26: पंक्ति 26:
* वेंकटरामन ब्रिटेन के प्रतिष्ठित 'कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी' की 'एम॰ आर॰ सी॰ लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी' के स्ट्रकचरल स्टडीज़ विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक थे।
* वेंकटरामन ब्रिटेन के प्रतिष्ठित 'कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी' की 'एम॰ आर॰ सी॰ लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी' के स्ट्रकचरल स्टडीज़ विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक थे।
* '''रामन प्रभाव की खोज [[28 फ़रवरी]], [[1928]]''' को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन हम '''राष्ट्रीय विज्ञान दिवस''' के रूप में मनाते हैं।  
* '''रामन प्रभाव की खोज [[28 फ़रवरी]], [[1928]]''' को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन हम '''राष्ट्रीय विज्ञान दिवस''' के रूप में मनाते हैं।  
* इस महान खोज 'रामन प्रभाव' के लिये '''[[1930]] में श्री रामन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार''' प्रदान किया गया और रामन [[भौतिक विज्ञान]] में [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त करने वाले [[एशिया]] के पहले व्यक्ति बने।  
* 'रामन प्रभाव' के लिये '''[[1930]] में श्री रामन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार''' प्रदान किया गया और रामन [[भौतिक विज्ञान]] में [[नोबेल पुरस्कार]] प्राप्त करने वाले [[एशिया]] के पहले व्यक्ति बने।  
* डॉ.रामन का देश-विदेश की प्रख्यात वैज्ञानिक संस्थाओं ने सम्मान किया। भारत सरकार ने '[[भारत रत्न]]' की सर्वोच्च उपाधि देकर सम्मानित किया।  
* सन [[1954]] को भारत सरकार ने '[[भारत रत्न]]' की सर्वोच्च उपाधि देकर सम्मानित किया। [[21 नवम्बर]], [[1970]] को 82 वर्ष की आयु में वैज्ञानिक डॉ. रामन की मृत्यु हुई। '''[[चंद्रशेखर वेंकट रामन|.... और पढ़ें]]'''
* सोवियत रूस ने उन्हें [[1958]] में 'लेनिन पुरस्कार' प्रदान किया।
* [[21 नवम्बर]], [[1970]] को 82 वर्ष की आयु में वैज्ञानिक डॉ. रामन की मृत्यु हुई। '''[[चंद्रशेखर वेंकट रामन|.... और पढ़ें]]'''
|-
|-
| style="border:1px solid #94f9c7;padding:10px; background:#f5fffa" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#cef2e0; border:thin solid #a3bfb1">'''चयनित लेख'''</div>
| style="border:1px solid #94f9c7;padding:10px; background:#f5fffa" valign="top" | <div style="padding-left:8px; background:#cef2e0; border:thin solid #a3bfb1">'''चयनित लेख'''</div>
पंक्ति 35: पंक्ति 33:
<div id="rollnone"> [[चित्र:Colour.jpg|right|100px|रंग बिरंगी पेन्सिल |link=रंग बिरंगी पेन्सिल]] </div>
<div id="rollnone"> [[चित्र:Colour.jpg|right|100px|रंग बिरंगी पेन्सिल |link=रंग बिरंगी पेन्सिल]] </div>
*रंगो का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
*रंगो का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
*रत्न अपनी '''चमक और अन्य भौतिक गुणों''' के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
*मूल रूप से [[इंद्रधनुष]] के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग [[लाल रंग|लाल]], [[नारंगी रंग|नारंगी]], [[पीला रंग|पीला]], [[हरा रंग|हरा]], [[आसमानी रंग|आसमानी]], [[नीला रंग|नीला]] तथा [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] हैं।
*रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
*रंगो की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्त्रोत [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] का प्रकाश है। प्रिज्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप [[अंग्रेज़ी भाषा]] में '''VIBGYOR''' और [[हिन्दी]] में '''बैं जा नी ह पी ना ला''' कहा जाता है।
*रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। [[भारत]] की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
*रंग हजारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। जहाँ आजकल कृत्रिम रंगों का उपयोग जोरों पर है वहीं प्रारंभ में लोग प्राकृतिक रंगों को ही उपयोग में लाते थे।
*भारतीय मान्यता के अनुसार '''कुल 84 रत्न''' पाए जाते हैं, जिनमें [[माणिक्य]], [[हीरा]], [[मोती]], [[नीलम]], [[पन्ना]], [[मूँगा]], [[गोमेद]], तथा वैदूर्य ([[लहसुनिया]]) को नवरत्न माना गया है।
*उल्लेखनीय है कि [[मोहन जोदड़ो]] और [[हड़प्पा]] की खुदाई में [[सिंधु घाटी सभ्यता]] की जो चीजें मिलीं उनमें ऐसे बर्तन और मूर्तियां भी थीं, जिन पर रंगाई की गई थी। '''[[रंग|.... और पढ़ें]]'''
*रत्नों को तीन श्रेणियों '''पाषाण रत्न''', '''प्राणिज रत्न''' और '''वनस्पतिक रत्न''' में बांटा गया है। '''[[रत्न|.... और पढ़ें]]'''
|}
|}


पंक्ति 46: पंक्ति 43:
| style="border:1px solid #94f9c7;padding:10px; background:#f5fffa; width:50%;" valign="top" |   
| style="border:1px solid #94f9c7;padding:10px; background:#f5fffa; width:50%;" valign="top" |   
<div style="padding-left:8px; background:#cef2e0; border:thin solid #a3bfb1">'''कुछ चुने हुए लेख'''</div>
<div style="padding-left:8px; background:#cef2e0; border:thin solid #a3bfb1">'''कुछ चुने हुए लेख'''</div>
* [[जीवाणु]]
* [[विषाणु]]
* [[प्रोजेरिया]]
* [[मधुमेह]]
* [[हाइड्रोजन]]
* [[हाइड्रोजन]]
* [[दाँत]]
* [[दाँत]]
* [[त्वरण]]
* [[त्वरण]]
* [[वेग]]
* [[हाथी]]
* [[मात्रक]]
* [[न्यूटन के नियम]]
* [[पाचन तन्त्र]]
* [[पाचन तन्त्र]]
* [[जीवाणु]]
* [[डॉक्टर होमी जहाँगीर भाभा]]
* [[विषाणु]]
* [[सत्येंद्रनाथ बोस]]
* [[प्रोजेरिया]]
* [[जगदीश चंद्र बोस]]
* [[मधुमेह]]
| style="border:1px solid #94f9c7;padding:10px; background:#f5fffa; width:50%;" valign="top" |   
| style="border:1px solid #94f9c7;padding:10px; background:#f5fffa; width:50%;" valign="top" |   
<div style="padding-left:8px; background:#cef2e0; border:thin solid #a3bfb1">'''विज्ञान श्रेणी वृक्ष'''</div>
<div style="padding-left:8px; background:#cef2e0; border:thin solid #a3bfb1">'''विज्ञान श्रेणी वृक्ष'''</div>

09:10, 5 दिसम्बर 2010 का अवतरण

साँचा:प्रांगण

प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
इस पन्ने पर सम्पादन का कार्य चल रहा है। कृपया प्रतीक्षा करें यदि 10 दिन हो चुके हों तो यह 'सूचना साँचा' हटा दें या दोबारा लगाएँ।

♦ विश्‍व का सातवाँ बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं।
♦ उत्तर में विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।

विज्ञान मुखपृष्ठ

♦ भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है।
♦ भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊँचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है।

विशेष आलेख
चंद्रशेखर वेंकट रामन
चंद्रशेखर वेंकट रामन
  • चंद्रशेखर वेंकट रामन पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने वैज्ञानिक संसार में भारत को ख्याति दिलाई।
  • चंद्रशेखर वेंकट रामन का जन्म तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर 1888 को हुआ था। इनके पिता चंद्रशेखर अय्यर और माँ पार्वती अम्माल थीं।
  • वेंकटरामन ब्रिटेन के प्रतिष्ठित 'कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी' की 'एम॰ आर॰ सी॰ लेबोरेट्रीज़ ऑफ़ म्यलूकुलर बायोलोजी' के स्ट्रकचरल स्टडीज़ विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक थे।
  • रामन प्रभाव की खोज 28 फ़रवरी, 1928 को हुई थी। इस महान खोज की याद में 28 फ़रवरी का दिन हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं।
  • 'रामन प्रभाव' के लिये 1930 में श्री रामन को भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया और रामन भौतिक विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले एशिया के पहले व्यक्ति बने।
  • सन 1954 को भारत सरकार ने 'भारत रत्न' की सर्वोच्च उपाधि देकर सम्मानित किया। 21 नवम्बर, 1970 को 82 वर्ष की आयु में वैज्ञानिक डॉ. रामन की मृत्यु हुई। .... और पढ़ें
चयनित लेख
रंग बिरंगी पेन्सिल
रंग बिरंगी पेन्सिल
  • रंगो का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। रंग, मानवी आँखों के वर्णक्रम से मिलने पर छाया सम्बंधी गतिविधियों से उत्पन्न होते हैं।
  • मूल रूप से इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है, ये सात रंग लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं।
  • रंगो की उत्पत्ति का सबसे प्राकृतिक स्त्रोत सूर्य का प्रकाश है। प्रिज्म की सहायता से देखने पर पता चलता है कि सूर्य सात रंग ग्रहण करता है जिसे सूक्ष्म रूप अंग्रेज़ी भाषा में VIBGYOR और हिन्दी में बैं जा नी ह पी ना ला कहा जाता है।
  • रंग हजारों वर्षों से हमारे जीवन में अपनी जगह बनाए हुए हैं। जहाँ आजकल कृत्रिम रंगों का उपयोग जोरों पर है वहीं प्रारंभ में लोग प्राकृतिक रंगों को ही उपयोग में लाते थे।
  • उल्लेखनीय है कि मोहन जोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में सिंधु घाटी सभ्यता की जो चीजें मिलीं उनमें ऐसे बर्तन और मूर्तियां भी थीं, जिन पर रंगाई की गई थी। .... और पढ़ें
कुछ चुने हुए लेख
विज्ञान श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

साइंस सिटी में डायनासोर, कोलकाता
साइंस सिटी में डायनासोर, कोलकाता

साइंस सिटी में डायनासोर, कोलकाता

संबंधित लेख