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मानवजीत सिंह संधू का जन्म 3 नवम्बर, 1976 को [[अमृतसर]], [[पंजाब]] में हुआ था। अब उनका स्थायी निवास [[दिल्ली]] में है। उनका कद 6 फुट 2 इंच है तथा वे दाहिने हाथ के निशानेबाज़ हैं। कहा जा सकता है कि भारतीय निशानेबाजों ने हाल के वर्षों में भारत को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी ख्याति दिलाई है। [[जुलाई]] 2006 में इन्टरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (आई.एस.एस.एफ.) की क्रोएशिया के जागरेब में हुई 49वीं विश्व चैंपियनशिप में मानवजीत ने स्वर्ण पदक जीत कर [[भारत]] का मान बढ़ाया है। 29 वर्ष की आयु में विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले संधू के कारण ही भारतीय टीम इन आई.एस.एस.एफ. मुकाबलों में 362 अंक बनाकर रजत पदक जीत सकी। [[रूस]] की टीम 360 अंक बनाकर दूसरे स्थान पर रही और [[अमेरिका]] 359 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।<ref>{{cite web |url=http://www.kaiseaurkya.com/manavjit-singh-sandhu-biography-in-hindi-language/ |title=मानवजीत सिंह संधू का जीवन परिचय |accessmonthday= 04 सितम्बर|accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=क्या और कैसे |language=हिंदी }}</ref>
 
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जागरेब में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत पदक जीता था। उनसे पूर्व अभिनव बिन्द्रा विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। अत: मानवजीत विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले द्वितीय भारतीय निशानेबाज़ खिलाड़ी हैं। मानवजीत के कोच का नाम मार्सेलो ड्राडी है। वह विश्व चैंपियनशिप जीतकर अपने कोच की उम्मीदों पर खरे उतर सके। इससे पूर्व [[मई]] 2006 में अमेरिका में आई.एस.एस.एफ. वर्ल्ड कप मुकाबले में भी मानवजीत ने रजत पदक जीता था। यद्यपि वह स्वर्ण पदक पाते-पाते चूक गए थे।
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जागरेब में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत पदक जीता था। उनसे पूर्व अभिनव बिन्द्रा विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। अत: मानवजीत विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले द्वितीय भारतीय निशानेबाज़ खिलाड़ी हैं। मानवजीत के कोच का नाम मार्सेलो ड्राडी है। वह विश्व चैंपियनशिप जीतकर अपने कोच की उम्मीदों पर खरे उतर सके। इससे पूर्व [[मई]] [[2006]] में [[अमेरिका]] में आई.एस.एस.एफ. वर्ल्ड कप मुकाबले में भी मानवजीत ने रजत पदक जीता था। यद्यपि वह स्वर्ण पदक पाते-पाते चूक गए थे।
 
==सम्मान व पुरस्कार==
 
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मानवजीत धीरे-धीरे प्रगति करके अपने [[खेल]] में सुधार लाते रहे हैं। उनका कहना है कि उनके स्पांसरकर्ताओं जैसे जे.सी.टी., ए.एस.एआ.ई., बी.आई.एल.टी. तथा सरकारी सहायता के कारण ही वह सफलता पा सके हैं। वह कहते हैं कि अभी उन्हें अभ्यास करके और आगे बढ़ना है ताकि नई पीढ़ी भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे आ सके और बड़ी कारपोरेट कंपनियां खिलाड़ियों को स्पांसरशिप प्रदान कर सकें। उनकी विजय पर जे.सी.टी. ने उनका अभिनन्दन किया तथा पंजाब सरकार ने पुरस्कार स्वरूप 21 लाख [[रुपया|रुपये]] दिए। उन्हें [[2006]] की उपलब्धियों के लिए '[[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]]' पुरस्कार दिया गया।
 
मानवजीत धीरे-धीरे प्रगति करके अपने [[खेल]] में सुधार लाते रहे हैं। उनका कहना है कि उनके स्पांसरकर्ताओं जैसे जे.सी.टी., ए.एस.एआ.ई., बी.आई.एल.टी. तथा सरकारी सहायता के कारण ही वह सफलता पा सके हैं। वह कहते हैं कि अभी उन्हें अभ्यास करके और आगे बढ़ना है ताकि नई पीढ़ी भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे आ सके और बड़ी कारपोरेट कंपनियां खिलाड़ियों को स्पांसरशिप प्रदान कर सकें। उनकी विजय पर जे.सी.टी. ने उनका अभिनन्दन किया तथा पंजाब सरकार ने पुरस्कार स्वरूप 21 लाख [[रुपया|रुपये]] दिए। उन्हें [[2006]] की उपलब्धियों के लिए '[[राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार]]' पुरस्कार दिया गया।
 
==उपलब्धियाँ==
 
==उपलब्धियाँ==
मानवजीत सिंह सधूं ने विश्व स्तर पर विजय प्राप्त करके भारत का नाम रौशन किया है।
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मानवजीत सिंह सधूं ने विश्व स्तर पर विजय प्राप्त करके [[भारत]] का नाम रौशन किया है।
#1998 में कुआलालंपुर में पुरुष ट्रैप स्पर्धा पेयर्स में मानवजीत ने मनशेर सिंह के साथ 192 अंको का कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड बनाया है।
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#[[1998]] में कुआलालंपुर में पुरुष ट्रैप स्पर्धा पेयर्स में मानवजीत ने मनशेर सिंह के साथ 192 अंको का कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड बनाया है।
 
#उन्होंने मेलबर्न में हुए कॉमनवेल्थ खेलों (2006) में कांस्य पदक जीता था।
 
#उन्होंने मेलबर्न में हुए कॉमनवेल्थ खेलों (2006) में कांस्य पदक जीता था।
 
#उन्होंने दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए खेलों में व्यक्तिगत रजत पदक के अतिरिक्त टीम का रजत पदक भी प्राप्त किया था।
 
#उन्होंने दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए खेलों में व्यक्तिगत रजत पदक के अतिरिक्त टीम का रजत पदक भी प्राप्त किया था।
 
#मानवजीत ने 2006 में जागरेब (क्रोएशिया) में हुई आई.एस.एस.एफ. विश्व चैंपियनशिप में ट्रैप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
 
#मानवजीत ने 2006 में जागरेब (क्रोएशिया) में हुई आई.एस.एस.एफ. विश्व चैंपियनशिप में ट्रैप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
#उन्हें वर्ष 2006 के लिए ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार प्रदान किया गया।
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#उन्हें वर्ष 2006 के लिए ‘[[राजीव गांधी खेल रत्न]]’ पुरस्कार प्रदान किया गया।
  
  

05:41, 3 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

मानवजीत सिंह संधू
मानवजीत सिंह संधू
पूरा नाम मानवजीत सिंह संधू
जन्म 3 नवम्बर, 1976
जन्म भूमि अमृतसर, पंजाब
कर्म भूमि भारत
खेल-क्षेत्र निशानेबाज़ (शूटिंग)
पुरस्कार-उपाधि 'राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार' (2006)
प्रसिद्धि भारतीय निशानेबाज़
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी मानवजीत सिंह सधूं ने विश्व स्तर पर विजय प्राप्त करके भारत का नाम रौशन किया है। वे दूसरे भारतीय हैं, जिन्होंने विश्व व स्तर पर हुई चैंपियनशिप प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था।

मानवजीत सिंह संधू (अंग्रेज़ी: Manavjit Singh Sandhu, जन्म- 3 नवम्बर, 1976, अमृतसर, पंजाब) भारतीय निशानेबाज़ हैं, जो मुख्यत: ट्रेप शूटिंग के लिए जाने जाते हैं। 2006 में उन्होंने जागरेब में हुई विश्व चैंपियनशिप में ट्रैप-शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता था। वे दूसरे भारतीय हैं, जिन्होंने विश्व व स्तर पर हुई चैंपियनशिप प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता था। इस जीत के साथ ही मानवजीत ट्रैप शूटिंग की विश्व रैंकिंग में एक नम्बर पर आ गए थे। उन्हें इस उपलब्धि के लिए वर्ष 2006 के लिए 'राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार' से सम्मानित किया गया।

परिचय

मानवजीत सिंह संधू का जन्म 3 नवम्बर, 1976 को अमृतसर, पंजाब में हुआ था। अब उनका स्थायी निवास दिल्ली में है। उनका कद 6 फुट 2 इंच है तथा वे दाहिने हाथ के निशानेबाज़ हैं। कहा जा सकता है कि भारतीय निशानेबाजों ने हाल के वर्षों में भारत को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छी ख्याति दिलाई है। जुलाई 2006 में इन्टरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (आई.एस.एस.एफ.) की क्रोएशिया के जागरेब में हुई 49वीं विश्व चैंपियनशिप में मानवजीत ने स्वर्ण पदक जीत कर भारत का मान बढ़ाया है। 29 वर्ष की आयु में विश्व चैंपियनशिप जीतने वाले संधू के कारण ही भारतीय टीम इन आई.एस.एस.एफ. मुकाबलों में 362 अंक बनाकर रजत पदक जीत सकी। रूस की टीम 360 अंक बनाकर दूसरे स्थान पर रही और अमेरिका 359 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।[1]

जागरेब में उन्होंने एक स्वर्ण व एक रजत पदक जीता था। उनसे पूर्व अभिनव बिन्द्रा विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। अत: मानवजीत विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाले द्वितीय भारतीय निशानेबाज़ खिलाड़ी हैं। मानवजीत के कोच का नाम मार्सेलो ड्राडी है। वह विश्व चैंपियनशिप जीतकर अपने कोच की उम्मीदों पर खरे उतर सके। इससे पूर्व मई 2006 में अमेरिका में आई.एस.एस.एफ. वर्ल्ड कप मुकाबले में भी मानवजीत ने रजत पदक जीता था। यद्यपि वह स्वर्ण पदक पाते-पाते चूक गए थे।

सम्मान व पुरस्कार

मानवजीत धीरे-धीरे प्रगति करके अपने खेल में सुधार लाते रहे हैं। उनका कहना है कि उनके स्पांसरकर्ताओं जैसे जे.सी.टी., ए.एस.एआ.ई., बी.आई.एल.टी. तथा सरकारी सहायता के कारण ही वह सफलता पा सके हैं। वह कहते हैं कि अभी उन्हें अभ्यास करके और आगे बढ़ना है ताकि नई पीढ़ी भी उनसे प्रेरणा लेकर आगे आ सके और बड़ी कारपोरेट कंपनियां खिलाड़ियों को स्पांसरशिप प्रदान कर सकें। उनकी विजय पर जे.सी.टी. ने उनका अभिनन्दन किया तथा पंजाब सरकार ने पुरस्कार स्वरूप 21 लाख रुपये दिए। उन्हें 2006 की उपलब्धियों के लिए 'राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार' पुरस्कार दिया गया।

उपलब्धियाँ

मानवजीत सिंह सधूं ने विश्व स्तर पर विजय प्राप्त करके भारत का नाम रौशन किया है।

  1. 1998 में कुआलालंपुर में पुरुष ट्रैप स्पर्धा पेयर्स में मानवजीत ने मनशेर सिंह के साथ 192 अंको का कॉमनवेल्थ रिकॉर्ड बनाया है।
  2. उन्होंने मेलबर्न में हुए कॉमनवेल्थ खेलों (2006) में कांस्य पदक जीता था।
  3. उन्होंने दिसम्बर 2006 में दोहा में हुए खेलों में व्यक्तिगत रजत पदक के अतिरिक्त टीम का रजत पदक भी प्राप्त किया था।
  4. मानवजीत ने 2006 में जागरेब (क्रोएशिया) में हुई आई.एस.एस.एफ. विश्व चैंपियनशिप में ट्रैप स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता।
  5. उन्हें वर्ष 2006 के लिए ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ पुरस्कार प्रदान किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. मानवजीत सिंह संधू का जीवन परिचय (हिंदी) क्या और कैसे। अभिगमन तिथि: 04 सितम्बर, 2016।

बाहरी कड़ियाँ

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