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* यहाँ हम भारतीय कला से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्वतंत्रता के बाद भारतीय [[साहित्य]], [[संगीत]], नाटक और [[चित्रकला]] आदि को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और राज्य कला अकादमियों की स्थापना की गयी।
♦ विश्‍व का सातवाँ बड़ा देश होने के नाते भारत शेष एशिया से अलग दिखता है जिसकी विशेषता पर्वत और समुद्र ने तय की है और ये इसे विशिष्‍ट भौगोलिक पहचान देते हैं। <br />
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* भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में व्याप्त मानवीय और रसात्मक तत्त्व उसके कला रूपों में प्रकट हुए हैं। मानवीय संबंधों और स्थितियों की विविध भावलीलाओं और उसके माध्यम से चेतना को 'कला' उजागार करती है। -'''[[महादेवी वर्मा]]'''
♦ उत्तर में विशाल पर्वत श्रृंखला हिमालय से घिरा यह कर्क रेखा से आगे संकरा होता जाता है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर तथा दक्षिण में हिन्‍द महासागर इसकी सीमा निर्धारित करते हैं।
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{{Headnote2|मुख्य आकर्षण- [[कला सामान्य ज्ञान]] '''·''' [[:श्रेणी:कला कोश|कला कोश]]}}
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<div style=text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;><h2>कला मुखपृष्ठ</h2></div>
 
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♦ भारत कृषि में आत्‍मनिर्भर बन चुका है और अब दुनिया के सबसे औद्योगीकृत देशों की श्रेणी में भी इसकी गिनती की जाती है। <br />
 
♦ भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि.मी. है, जो हिमाच्‍छादित हिमालय की ऊँचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है।
 
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| class="headbg30" colspan="2" style="border:1px solid #d9b4b9;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg29" style="padding-left:8px;">'''विशेष आलेख'''</div>  
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[मेवाड़ की चित्रकला]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[गंगा नदी|गंगा नदी]]'''</div>
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[[चित्र:Mewar-painting.jpg|right|120px|शिकार के लिए जाते हुए मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमीर चंद बडवा|link=मेवाड़ की चित्रकला]]
<div id="rollnone"> [[चित्र:Ganga-Varanasi.jpg|right|100px|वाराणसी में गंगा नदी के घाट|link=गंगा नदी]] </div>
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*[[भारत]] की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी गंगा, जो भारत और [[बांग्लादेश]] में कुल मिलाकर 2,510 किमी की दूरी तय करती हुई [[उत्तरांचल]] में [[हिमालय]] से लेकर [[बंगाल की खाड़ी]] के [[सुंदरवन]] तक विशाल भू भाग को सींचती है।
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        '''[[मेवाड़ की चित्रकला]]''' काफ़ी लम्बे समय से ही लोगों का ध्यान आकर्षित करती रही है। यहाँ चित्रांकन की अपनी एक विशिष्ट परंपरा है, जिसे यहाँ के चित्रकार पीढ़ियों से अपनाते रहे हैं। 'चितारे' अपने अनुभवों एवं सुविधाओं के अनुसार चित्रण के कई नए तरीक़े भी खोजते रहे। रोचक तथ्य यह है कि यहाँ के कई स्थानीय चित्रण केन्द्रों में वे परंपरागत तकनीक आज भी जीवित है। तकनीकों का प्रादुर्भाव पश्चिमी भारतीय चित्रण पद्धति के अनुरूप ही [[ताड़पत्र (लेखन सामग्री)|ताड़पत्रों]] के चित्रण कार्यों में ही उपलब्ध होता है। यशोधरा द्वारा उल्लेखित षडांग के संदर्भ एवं 'समराइच्चकहा' एवं 'कुवलयमाला' कहा जैसे ग्रंथों में 'दट्ठुम' शब्द का प्रयोग चित्र की समीक्षा हेतु हुआ है, जिससे इस क्षेत्र की उत्कृष्ट परंपरा के प्रमाण मिलते हैं। ये चित्र मूल्यांकन की कसौटी के रूप में प्रमुख मानक तथा समीक्षा के आधार थे। विकास के इस सतत् प्रवाह में विष्णुधर्मोत्तर पुराण, समरांगण सूत्रधार एवं चित्र लक्षण जैसे अन्य ग्रंथों में वर्णित चित्रकर्म के सिद्धांत का भी पालन किया गया है। परंपरागत कला सिद्धांतों के अनुरूप ही शास्त्रीय विवेचन में आये आदर्शवाद एवं यथार्थवाद का निर्वाह हुआ है। '''[[मेवाड़ की चित्रकला|.... और पढ़ें]]'''  
*गंगा नदी की प्रधान शाखा [[भागीरथी नदी|भागीरथी]] है जो कुमायूँ में '''हिमालय के गोमुख नामक स्थान पर गंगोत्री हिमनद''' से निकलती है। गंगा के इस उद्गम स्थल की ऊँचाई 3140 मीटर है। 
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*[[यमुना]] गंगा की सबसे प्रमुख सहायक नदी है जो हिमालय की बन्दरपूँछ चोटी के आधार पर यमुनोत्री हिमखण्ड से निकली है।
 
*गंगा नदी पर निर्मित अनेक बाँध भारतीय जन-जीवन तथा अर्थ व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग हैं। इनमें प्रमुख हैं फ़रक्का बाँध, टिहरी बाँध, तथा भीमगोडा बाँध।
 
*गंगा नदी '''विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता''' के कारण जानी जाती है। लंबे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है। [[गंगा नदी|.... और पढ़ें]]'''
 
 
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| class="headbg4" style="border:1px solid #AE9F93;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg3" style="padding-left:8px;"><span style="color:#191406">'''चयनित लेख'''</span></div>  
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<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[आलम आरा]]'''</div>
<div align="center" style="color:#34341B;">'''[[रत्न|रत्न]]'''</div>
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[[चित्र:Alam-Ara-Poster.jpg|120px|border|right|link=आलम आरा]]
<div id="rollnone"> [[चित्र:Gemstone.jpg|right|100px|रत्न|link=रत्न]] </div>
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*रत्न आकर्षक [[खनिज]] का एक टुकड़ा होता है जो कटाई और पॉलिश करने के बाद गहने और अन्य अलंकरण बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
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        '''[[आलम आरा]]''' [[भारत]] की पहली बोलती फ़िल्म है जिसका निर्देशन 'अर्देशिर ईरानी' ने किया था। आलम आरा का प्रदर्शन (रिलीज) [[14 मार्च]] [[1931]] को हुआ। फ़िल्म के नायक की भूमिका निभाई मास्टर विट्ठल ने और नायिका थीं ज़ुबैदा। फ़िल्म में [[पृथ्वीराज कपूर]] की भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। राजकुमार और बंजारिन की प्रेम कहानी पर आधारित यह फ़िल्म एक पारसी नाटक से प्रेरित थी। पहली सवाक फ़िल्म होने के कारण सामने आने वाली तमाम समस्याओं के बावजूद अर्देशिर ईरानी ने साढ़े दस हज़ार फ़ीट लंबी इस फ़िल्म का निर्माण चार महीने में ही पूरा किया। इस पर कुल मिलाकर चालीस हज़ार रुपए की लागत आई थी। 'आलम आरा' की कामयाबी को देखते हुए तीसरे ही [[सप्ताह]] में उर्दू फ़िल्म 'शीरी-फ़रहाद' आई। इस फ़िल्म में आलम आरा के मुक़ाबले तीन गुना अधिक [[गीत]] थे जो जहाँआरा कज्जन और मास्टर निसार की आवाज़ों में गाए गए थे। [[भारत]] में बनी पहली बोलती फ़िल्म 'आलम आरा' की आवाज़ अब कहीं सुनाई नहीं देगी। [[चेन्नई]] में क्षेत्रीय सिनेमा पर आयोजित एक सेमिनार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी. बी. प्यारेलाल के अनुसार आलम आरा के सभी प्रिंट नष्ट हो चुके हैं। '''[[आलम आरा|.... और पढ़ें]]'''</Poem>
*रत्न अपनी '''चमक और अन्य भौतिक गुणों''' के सौंदर्य की वजह से गहने में उपयोग किया जाता है।
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*रत्न का रंग ही उसकी सबसे स्पष्ट और आकर्षक विशेषता है। रत्नों को गर्म कर के उसके रंग की स्पष्टता बढ़ाई जाती है।
 
*रत्नों का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन है। [[भारत]] की तरह अन्य देशों में भी इनके जन्म सम्बंधी अनगिनत कथाएं प्रचलित हैं।
 
*भारतीय मान्यता के अनुसार '''कुल 84 रत्न''' पाए जाते हैं, जिनमें [[माणिक्य]], [[हीरा]], [[मोती]], [[नीलम]], [[पन्ना]], [[मूँगा]], [[गोमेद]], तथा वैदूर्य ([[लहसुनिया]]) को नवरत्न माना गया है।
 
*रत्नों को तीन श्रेणियों '''पाषाण रत्न''', '''प्राणिज रत्न''' और '''वनस्पतिक रत्न''' में बांटा गया है। [[रत्न|.... और पढ़ें]]'''
 
 
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<div class="headbg15" style="padding-left:8px;"><span style="color:#191406">'''कुछ चुने हुए लेख'''</span></div>
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* [[ललित कला अकादमी]]
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* [[आलम आरा]]
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* [[लता मंगेशकर]]
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* [[किशोर कुमार]]
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* [[रवि शंकर]]
 
* [[बिरजू महाराज]]
 
* [[बिरजू महाराज]]
 
* [[राजा रवि वर्मा]]
 
* [[राजा रवि वर्मा]]
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* [[शास्त्रीय नृत्य]]
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* [[कुट्टी अट्टम नृत्य]]
 
* [[चौंसठ कलाएँ]]
 
* [[चौंसठ कलाएँ]]
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* [[जैन चित्रकला]]
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* [[पाल चित्रकला]]
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* [[मुग़ल चित्रकला]]
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*  [[पटना चित्रकला]]
 
* [[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]]
 
* [[राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय]]
* [[नृत्य कला]]
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* [[मोहनी अट्टम नृत्य]]
* [[बिहू नृत्य]]
+
* [[सालारजंग संग्रहालय]]
* [[चरकुला नृत्य]]
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* [[ढोलक]]
* [[मूर्ति कला मथुरा]]
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* [[कूडियाट्टम नृत्य]]
* [[आलम आरा]]
 
 
* [[मदर इंडिया]]
 
* [[मदर इंडिया]]
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* [[मुग़लकालीन चित्रकला]]
 
* [[मुग़ल ए आज़म]]
 
* [[मुग़ल ए आज़म]]
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* [[रासलीला]]
<div class="headbg15" style="padding-left:8px;"><span style="color:#191406">'''भूगोल श्रेणी वृक्ष'''</span></div>
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*  [[नौटंकी]]
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*  [[पाबूजी की फड़]]
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*  [[भंडैती]]
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*  [[देवदास (1936)]]
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* [[दो आँखें बारह हाथ]]
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* [[दो बीघा ज़मीन]]
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* [[मेवाड़ की चित्रकला (तकनीकी)|मेवाड़ की चित्रकला]]
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* [[तंजौर कला]]
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* [[मधुबनी चित्रकला]]
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* [[गुलेरी चित्रकला]]
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* [[बूँदी चित्रकला]]
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* [[बसोहली चित्रकला]]
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08:52, 12 मई 2021 के समय का अवतरण

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  • यहाँ हम भारतीय कला से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्वतंत्रता के बाद भारतीय साहित्य, संगीत, नाटक और चित्रकला आदि को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय और राज्य कला अकादमियों की स्थापना की गयी।
  • भारतीय संस्कृति के विविध आयामों में व्याप्त मानवीय और रसात्मक तत्त्व उसके कला रूपों में प्रकट हुए हैं। मानवीय संबंधों और स्थितियों की विविध भावलीलाओं और उसके माध्यम से चेतना को 'कला' उजागार करती है। -महादेवी वर्मा
मुख्य आकर्षण- कला सामान्य ज्ञान · कला कोश
  • भारतकोश पर लेखों की संख्या प्रतिदिन बढ़ती रहती है जो आप देख रहे वह "प्रारम्भ मात्र" ही है...
विशेष आलेख
शिकार के लिए जाते हुए मेवाड़ के प्रधानमंत्री अमीर चंद बडवा

        मेवाड़ की चित्रकला काफ़ी लम्बे समय से ही लोगों का ध्यान आकर्षित करती रही है। यहाँ चित्रांकन की अपनी एक विशिष्ट परंपरा है, जिसे यहाँ के चित्रकार पीढ़ियों से अपनाते रहे हैं। 'चितारे' अपने अनुभवों एवं सुविधाओं के अनुसार चित्रण के कई नए तरीक़े भी खोजते रहे। रोचक तथ्य यह है कि यहाँ के कई स्थानीय चित्रण केन्द्रों में वे परंपरागत तकनीक आज भी जीवित है। तकनीकों का प्रादुर्भाव पश्चिमी भारतीय चित्रण पद्धति के अनुरूप ही ताड़पत्रों के चित्रण कार्यों में ही उपलब्ध होता है। यशोधरा द्वारा उल्लेखित षडांग के संदर्भ एवं 'समराइच्चकहा' एवं 'कुवलयमाला' कहा जैसे ग्रंथों में 'दट्ठुम' शब्द का प्रयोग चित्र की समीक्षा हेतु हुआ है, जिससे इस क्षेत्र की उत्कृष्ट परंपरा के प्रमाण मिलते हैं। ये चित्र मूल्यांकन की कसौटी के रूप में प्रमुख मानक तथा समीक्षा के आधार थे। विकास के इस सतत् प्रवाह में विष्णुधर्मोत्तर पुराण, समरांगण सूत्रधार एवं चित्र लक्षण जैसे अन्य ग्रंथों में वर्णित चित्रकर्म के सिद्धांत का भी पालन किया गया है। परंपरागत कला सिद्धांतों के अनुरूप ही शास्त्रीय विवेचन में आये आदर्शवाद एवं यथार्थवाद का निर्वाह हुआ है। .... और पढ़ें

चयनित लेख
Alam-Ara-Poster.jpg

        आलम आरा भारत की पहली बोलती फ़िल्म है जिसका निर्देशन 'अर्देशिर ईरानी' ने किया था। आलम आरा का प्रदर्शन (रिलीज) 14 मार्च 1931 को हुआ। फ़िल्म के नायक की भूमिका निभाई मास्टर विट्ठल ने और नायिका थीं ज़ुबैदा। फ़िल्म में पृथ्वीराज कपूर की भी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। राजकुमार और बंजारिन की प्रेम कहानी पर आधारित यह फ़िल्म एक पारसी नाटक से प्रेरित थी। पहली सवाक फ़िल्म होने के कारण सामने आने वाली तमाम समस्याओं के बावजूद अर्देशिर ईरानी ने साढ़े दस हज़ार फ़ीट लंबी इस फ़िल्म का निर्माण चार महीने में ही पूरा किया। इस पर कुल मिलाकर चालीस हज़ार रुपए की लागत आई थी। 'आलम आरा' की कामयाबी को देखते हुए तीसरे ही सप्ताह में उर्दू फ़िल्म 'शीरी-फ़रहाद' आई। इस फ़िल्म में आलम आरा के मुक़ाबले तीन गुना अधिक गीत थे जो जहाँआरा कज्जन और मास्टर निसार की आवाज़ों में गाए गए थे। भारत में बनी पहली बोलती फ़िल्म 'आलम आरा' की आवाज़ अब कहीं सुनाई नहीं देगी। चेन्नई में क्षेत्रीय सिनेमा पर आयोजित एक सेमिनार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी. बी. प्यारेलाल के अनुसार आलम आरा के सभी प्रिंट नष्ट हो चुके हैं। .... और पढ़ें

कुछ लेख
कला श्रेणी वृक्ष
चयनित चित्र

छाऊ नृत्य, पश्चिम बंगाल

संबंधित लेख

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