कुमारजीव
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कुमारजीव या चीनी भाषा में "जिक मो लाओ शिन" एक बौद्ध दार्शनिक थे, जो भारत-चीन के बीच सांस्कृतिक मैत्री के पुरोधा थे। कुमारजीव की जीवन कहानी सामान्य रूप से भारत से बाहर भारतीय संस्कृति और विशेष रूप से बौद्ध धर्म के प्रसार की कहानी है। उन्होंने पहले कूचा में और फिर कश्मीर में शिक्षा पाई। 20 वर्ष की अवस्था में वह बौद्ध भिक्षु हो गये। वह कूचा में रह कर 'महायानी बौद्ध धर्म' की शिक्षा देते थे। जब वे बन्दी बना कर चीन ले जाये गए, तो चीनी सम्राट याओ हीन ने 401 ई. में उनसे अपने राज्य में बौद्ध धर्म का प्रचार करने को कहा। इसके बाद कुमारजीव चीन की राजधानी चांग आन में बस गये और 413 ई. में अपनी मृत्यु तक वहीं पर रहे।
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