"रणजी" के अवतरणों में अंतर

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'''कुमार श्री रणजीतसिंहजी''' (''[[अंग्रेज़ी]]:Kumar Shri Ranjitsinhji'', जन्म: [[10 सितम्बर]], [[1875]] - मृत्यु:[[2  अप्रॅल]], [[1933]]) को भारतीय [[क्रिकेट|क्रिकेट]] का जादूगर कहा जाता है और उन्हें [[भारत]] का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी माना जाता है।  
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'''कुमार श्री रणजीत सिंह जी''' (''[[अंग्रेज़ी]]:Kumar Shri Ranjitsinhji'', जन्म: [[10 सितम्बर]], [[1875]], काठियावाड़, गुजरात; मृत्यु: [[2  अप्रॅल]], [[1933]]) को "भारतीय क्रिकेट का जादूगर" कहा जाता है। उन्हें [[भारत]] का सर्वश्रेष्ठ [[क्रिकेट]] खिलाड़ी माना जाता है। रणजीत सिंह प्रथम टेस्ट मैच खिलाड़ी थे। उन्होंने इंग्लैंड से अपने क्रिकेट खेल की शुरुआत की थी। उन्हीं के नाम पर उन्हें सम्मान देने के लिए [[भारत]] के प्रथम श्रेणी के क्रिकेट टूर्नामेंट का नाम ‘रणजी ट्राफी’ रखा गया है। इस टूर्नामेंट का शुभारम्भ [[1935]] में [[पटियाला]] के महाराजा भूपिन्दर सिंह ने किया था। रणजीत सिंह भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक थे। वे एक भारतीय राजकुमार थे, जिन्हें प्रथम भारतीय खिलाड़ी होने का श्रेय भी प्राप्त है।<ref name="a">{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/ranjit-singh-ji-biography-in-hindi-language/ |title=रणजीत सिंह जी का जीवन परिचय |accessmonthday=06 सितम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिन्दी }}</ref>
==जीवन परिचय==
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==परिचय==
कुमार रणजीतसिंह जी का जन्म [[10 सितम्बर]], 1875 को [[गुजरात]] के [[जामनगर]] के पास एक गाँव में हुआ। अपने छात्र जीवन में वे क्रिकेट के अतिरिक्त फुटबॉल व टेनिस भी खेलते थे। रणजीतसिंह 'रणजी' से ज़्यादा लोकप्रिय हुए थे। रणजी जीवन भर अविवाहित रहे। जब-जब भी विवाह का प्रसंग आता तब-तब वह मज़ाक में यह कहते कि <blockquote>'क्रिकेट ही मेरी जीवन संगिनी है।'</blockquote>  
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कुमार रणजीत सिंह का जन्म [[10 सितम्बर]], 1875 को [[गुजरात]] के [[जामनगर]] के पास एक [[गाँव]] में हुआ। उनका जन्म एक धनी परिवार में हुआ था। अपने छात्र जीवन में वे [[क्रिकेट]] के अतिरिक्त [[फ़ुटबॉल]] [[टेनिस]] भी खेलते थे। रणजीत सिंह 'रणजी' से ज़्यादा लोकप्रिय हुए थे। रणजी जीवन भर अविवाहित रहे। जब-जब भी [[विवाह]] का प्रसंग आता, तब-तब वह मज़ाक में कहते कि- '''क्रिकेट ही मेरी जीवन संगिनी है।'''
====रिकार्ड====
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;शिक्षा
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[[1888]] में रणजीत सिंह ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज में दाखिला लेने [[ब्रिटेन]] चले गए। वहीं पर पढ़ते हुए फ़ाइनल वर्ष में वह क्रिकेट ‘ब्लू’ में शामिल हो गए। वहाँ उन्होंने अपना नाम बदलकर (निक नेम) ‘स्मिथ’ कर लिया और उसी नाम से पहचाने जाने लगे थे। बाद में उन्हें कर्नल के नाम से भी जाना जाता था। उन्हें कर्नल हिज हाइनेस श्री सर रणजीत सिंह जी विभाजी कहकर सम्बोधित किया जाता था। वह नवानगर के महाराजा जैम साहब के नाम से भी जाने जाते थे। अपनी स्नातक शिक्षा पूरी हो जाने पर रणजीत सिंह ने ससेक्स के लिए काउंटी [[क्रिकेट]] खेलना आरम्भ कर दिया। रणजीत सिंह ने इससे पूर्व सही व्यवस्थित [[खेल]] नहीं खेला था, लेकिन फिर भी उन्होंने फ़ाइनल वर्ष की ग्रीष्म में क्रिकेट खेलते हुए ‘ब्लू’ को जीत लिया। उन्होंने [[खेल]] की औपचारिक शुरुआत [[मई]], [[1895]] में लॉर्ड्स में की। यहां उन्होंने ससेक्स के लिए खेला और एम. सी. सी. के विरुद्ध 77 व 150 रन बना डाले।<ref name="a"/>
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==कीर्तिमान==
 
रणजी ने अपने जीवनकाल में क्रिकेट के प्रथम श्रेणी मैचों में 72 शतक बनाये। [[अंग्रेज़]] उन्हें रणजी के नाम से ही पुकारते थे। उन्होंने सन् 1899 में 3,159 और 1900 में 3,069 रन बनाए थे। 1896 में मानचेस्टर में इंग्लैण्ड की ओर से आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलते हुए इन्होंने पहले टेस्ट में ही अपना शतक पूरा करा लिया था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण उन्होंने [[क्रिकेट का इतिहास|क्रिकेट के इतिहास]] में एक नया अध्याय जोड़ दिया। विश्व-विख्यात क्रिकेट समीक्षक नेविल कार्डस ने श्री रणजीतसिंह का खेल देखने के बाद लिखा था- <blockquote>"ब्रिटेन के मैदानों में पहली बार पूर्व की किरण दिखाई दी। उन दिनों क्रिकेट का खेल बिल्कुल सीधा खेल माना जाता था। यानी वह गुड लेंग्थ का गेंद और सीधी बल्लेबाजी का खेल था। तब क्रिकेट के खेल को केवल अंगेज़ों का खेल ही माना जाता था। अचानक [[इंग्लैण्ड]] के मैदान में पूर्व के एक व्यक्ति ने ऐसा रंग जमाया कि सब ने एक मत होकर यह स्वीकार किया कि ऐसा खिलाड़ी तो आज तक इंग्लैण्ड में भी पैदा नहीं हुआ। इस व्यक्ति का खेल सचमुच ही अद्भुत था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण वह सीधे बॉल को ऐसे घुमाता था देखने वाले देखते रह जाते थे और कहते- 'लो... वह बॉल आया और लो...वह बाउंड्री भी पार कर गया।' उस अद्भुत बल्लेबाज़ी का रहस्य कोई नहीं जान सका। गेंदबाज़ स्तब्ध खड़ा हो जाता और अपनी दोनों बांहों में बॉल को दबाकर यह सोचने लगता कि आखिर यह कैसे हो गया?"</blockquote>
 
रणजी ने अपने जीवनकाल में क्रिकेट के प्रथम श्रेणी मैचों में 72 शतक बनाये। [[अंग्रेज़]] उन्हें रणजी के नाम से ही पुकारते थे। उन्होंने सन् 1899 में 3,159 और 1900 में 3,069 रन बनाए थे। 1896 में मानचेस्टर में इंग्लैण्ड की ओर से आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलते हुए इन्होंने पहले टेस्ट में ही अपना शतक पूरा करा लिया था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण उन्होंने [[क्रिकेट का इतिहास|क्रिकेट के इतिहास]] में एक नया अध्याय जोड़ दिया। विश्व-विख्यात क्रिकेट समीक्षक नेविल कार्डस ने श्री रणजीतसिंह का खेल देखने के बाद लिखा था- <blockquote>"ब्रिटेन के मैदानों में पहली बार पूर्व की किरण दिखाई दी। उन दिनों क्रिकेट का खेल बिल्कुल सीधा खेल माना जाता था। यानी वह गुड लेंग्थ का गेंद और सीधी बल्लेबाजी का खेल था। तब क्रिकेट के खेल को केवल अंगेज़ों का खेल ही माना जाता था। अचानक [[इंग्लैण्ड]] के मैदान में पूर्व के एक व्यक्ति ने ऐसा रंग जमाया कि सब ने एक मत होकर यह स्वीकार किया कि ऐसा खिलाड़ी तो आज तक इंग्लैण्ड में भी पैदा नहीं हुआ। इस व्यक्ति का खेल सचमुच ही अद्भुत था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण वह सीधे बॉल को ऐसे घुमाता था देखने वाले देखते रह जाते थे और कहते- 'लो... वह बॉल आया और लो...वह बाउंड्री भी पार कर गया।' उस अद्भुत बल्लेबाज़ी का रहस्य कोई नहीं जान सका। गेंदबाज़ स्तब्ध खड़ा हो जाता और अपनी दोनों बांहों में बॉल को दबाकर यह सोचने लगता कि आखिर यह कैसे हो गया?"</blockquote>
 
====ऐतिहासिक वर्ष====
 
====ऐतिहासिक वर्ष====
 
सन 1900 रणजी के जीवन का ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण वर्ष माना जाता है। इसी वर्ष उन्होंने पाँच अवसरों पर 200 से अधिक (दोहरा शतक) और छह अवसरों पर सौ से अधिक रन बनाए। अपने जीवन में उन्होंने 500 पारियाँ खेलीं। इनमें से 62 बार वह आखिर तक आउट नहीं हुए। उन्होंने 56.27 की औसत से कुल 24,642 रन बनाए। रन बनाने की उनकी औसत रफ़्तार 50 रन प्रति घण्टा थी।
 
सन 1900 रणजी के जीवन का ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण वर्ष माना जाता है। इसी वर्ष उन्होंने पाँच अवसरों पर 200 से अधिक (दोहरा शतक) और छह अवसरों पर सौ से अधिक रन बनाए। अपने जीवन में उन्होंने 500 पारियाँ खेलीं। इनमें से 62 बार वह आखिर तक आउट नहीं हुए। उन्होंने 56.27 की औसत से कुल 24,642 रन बनाए। रन बनाने की उनकी औसत रफ़्तार 50 रन प्रति घण्टा थी।
 
==उपलब्धियाँ==
 
==उपलब्धियाँ==
#[[भारत]] का प्रथम दर्जे का 'रणजी मैच' सर रणजीत सिंह जी के नाम पर उन्हें सम्मान देने के लिए ही रखा गया।<ref>{{cite web |url=https://www.kaiseaurkya.com/ranjit-singh-ji-biography-in-hindi-language/ |title=रणजीत सिंह जी का जीवन परिचय |accessmonthday=06 सितम्बर |accessyear=2016 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=कैसे और क्या |language=हिन्दी }}</ref>
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#[[भारत]] का प्रथम दर्जे का 'रणजी मैच' सर रणजीत सिंह जी के नाम पर उन्हें सम्मान देने के लिए ही रखा गया।
 
#सर रणजीत भारत के प्रथम टैस्ट मैच खिलाड़ी थे। उन्होंने इंग्लैंड कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लदंन काउंटी तथा ससेक्स का प्रतिनिधित्व किया।
 
#सर रणजीत भारत के प्रथम टैस्ट मैच खिलाड़ी थे। उन्होंने इंग्लैंड कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लदंन काउंटी तथा ससेक्स का प्रतिनिधित्व किया।
 
#[[1907]] में उन्होंने ‘हिज हाइनेस श्री सर रणजीत सिंह जी विभाजीर, जाम साहब ऑफ़ नवानगर’ की उपाधि उत्तराधिकार में प्राप्त की।
 
#[[1907]] में उन्होंने ‘हिज हाइनेस श्री सर रणजीत सिंह जी विभाजीर, जाम साहब ऑफ़ नवानगर’ की उपाधि उत्तराधिकार में प्राप्त की।

06:35, 6 सितम्बर 2016 का अवतरण

रणजी
रणजीतसिंहजी
व्यक्तिगत परिचय
पूरा नाम कुमार श्री रणजीतसिंह
अन्य नाम रणजी, स्मिथ, रणजीतसिंहजी
जन्म 10 सितम्बर, 1875
जन्म भूमि सरोदर, काठियावाड़, गुजरात
पत्नी अविवाहित
मृत्यु 2 अप्रॅल, 1933 (आयु- 60 वर्ष)
मृत्यु स्थान जामनगर, गुजरात
खेल परिचय
टीम इंग्लैंड, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लंदन काउंटी, ससेक्स
भूमिका दाएँ हाथ के बल्लेबाज़
पहला टेस्ट 16 जुलाई, 1896 विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया
आख़िरी टेस्ट 16 जुलाई, 1902 विरुद्ध ऑस्ट्रेलिया
कैरियर आँकड़े
प्रारूप टेस्ट क्रिकेट एकदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्रथम श्रेणी
मुक़ाबले 15 307
बनाये गये रन 989 24,692
बल्लेबाज़ी औसत 44.95 56.37
100/50 2 / 6 72 / 109
सर्वोच्च स्कोर 175 285
फेंकी गई गेंदें 97 8056
विकेट 1 133
गेंदबाज़ी औसत 39.00 34.59
पारी में 5 विकेट - 4
मुक़ाबले में 10 विकेट - -
सर्वोच्च गेंदबाज़ी 1/23 6/53
कैच/स्टम्पिंग 13
अन्य जानकारी भारत में उनकी स्मृति में 'रणजी टॉफ़ी' प्रतियोगिता शुरू की गई। इसे क्रिकेट की राष्ट्रीय प्रतियोगिता माना जाता है।
बाहरी कड़ियाँ Cricinfo
अद्यतन

कुमार श्री रणजीत सिंह जी (अंग्रेज़ी:Kumar Shri Ranjitsinhji, जन्म: 10 सितम्बर, 1875, काठियावाड़, गुजरात; मृत्यु: 2 अप्रॅल, 1933) को "भारतीय क्रिकेट का जादूगर" कहा जाता है। उन्हें भारत का सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी माना जाता है। रणजीत सिंह प्रथम टेस्ट मैच खिलाड़ी थे। उन्होंने इंग्लैंड से अपने क्रिकेट खेल की शुरुआत की थी। उन्हीं के नाम पर उन्हें सम्मान देने के लिए भारत के प्रथम श्रेणी के क्रिकेट टूर्नामेंट का नाम ‘रणजी ट्राफी’ रखा गया है। इस टूर्नामेंट का शुभारम्भ 1935 में पटियाला के महाराजा भूपिन्दर सिंह ने किया था। रणजीत सिंह भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक थे। वे एक भारतीय राजकुमार थे, जिन्हें प्रथम भारतीय खिलाड़ी होने का श्रेय भी प्राप्त है।[1]

परिचय

कुमार रणजीत सिंह का जन्म 10 सितम्बर, 1875 को गुजरात के जामनगर के पास एक गाँव में हुआ। उनका जन्म एक धनी परिवार में हुआ था। अपने छात्र जीवन में वे क्रिकेट के अतिरिक्त फ़ुटबॉलटेनिस भी खेलते थे। रणजीत सिंह 'रणजी' से ज़्यादा लोकप्रिय हुए थे। रणजी जीवन भर अविवाहित रहे। जब-जब भी विवाह का प्रसंग आता, तब-तब वह मज़ाक में कहते कि- क्रिकेट ही मेरी जीवन संगिनी है।

शिक्षा

1888 में रणजीत सिंह ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज में दाखिला लेने ब्रिटेन चले गए। वहीं पर पढ़ते हुए फ़ाइनल वर्ष में वह क्रिकेट ‘ब्लू’ में शामिल हो गए। वहाँ उन्होंने अपना नाम बदलकर (निक नेम) ‘स्मिथ’ कर लिया और उसी नाम से पहचाने जाने लगे थे। बाद में उन्हें कर्नल के नाम से भी जाना जाता था। उन्हें कर्नल हिज हाइनेस श्री सर रणजीत सिंह जी विभाजी कहकर सम्बोधित किया जाता था। वह नवानगर के महाराजा जैम साहब के नाम से भी जाने जाते थे। अपनी स्नातक शिक्षा पूरी हो जाने पर रणजीत सिंह ने ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट खेलना आरम्भ कर दिया। रणजीत सिंह ने इससे पूर्व सही व्यवस्थित खेल नहीं खेला था, लेकिन फिर भी उन्होंने फ़ाइनल वर्ष की ग्रीष्म में क्रिकेट खेलते हुए ‘ब्लू’ को जीत लिया। उन्होंने खेल की औपचारिक शुरुआत मई, 1895 में लॉर्ड्स में की। यहां उन्होंने ससेक्स के लिए खेला और एम. सी. सी. के विरुद्ध 77 व 150 रन बना डाले।[1]

कीर्तिमान

रणजी ने अपने जीवनकाल में क्रिकेट के प्रथम श्रेणी मैचों में 72 शतक बनाये। अंग्रेज़ उन्हें रणजी के नाम से ही पुकारते थे। उन्होंने सन् 1899 में 3,159 और 1900 में 3,069 रन बनाए थे। 1896 में मानचेस्टर में इंग्लैण्ड की ओर से आस्ट्रेलिया के विरुद्ध खेलते हुए इन्होंने पहले टेस्ट में ही अपना शतक पूरा करा लिया था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण उन्होंने क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। विश्व-विख्यात क्रिकेट समीक्षक नेविल कार्डस ने श्री रणजीतसिंह का खेल देखने के बाद लिखा था-

"ब्रिटेन के मैदानों में पहली बार पूर्व की किरण दिखाई दी। उन दिनों क्रिकेट का खेल बिल्कुल सीधा खेल माना जाता था। यानी वह गुड लेंग्थ का गेंद और सीधी बल्लेबाजी का खेल था। तब क्रिकेट के खेल को केवल अंगेज़ों का खेल ही माना जाता था। अचानक इंग्लैण्ड के मैदान में पूर्व के एक व्यक्ति ने ऐसा रंग जमाया कि सब ने एक मत होकर यह स्वीकार किया कि ऐसा खिलाड़ी तो आज तक इंग्लैण्ड में भी पैदा नहीं हुआ। इस व्यक्ति का खेल सचमुच ही अद्भुत था। अपनी निराली बल्लेबाज़ी के कारण वह सीधे बॉल को ऐसे घुमाता था देखने वाले देखते रह जाते थे और कहते- 'लो... वह बॉल आया और लो...वह बाउंड्री भी पार कर गया।' उस अद्भुत बल्लेबाज़ी का रहस्य कोई नहीं जान सका। गेंदबाज़ स्तब्ध खड़ा हो जाता और अपनी दोनों बांहों में बॉल को दबाकर यह सोचने लगता कि आखिर यह कैसे हो गया?"

ऐतिहासिक वर्ष

सन 1900 रणजी के जीवन का ऐतिहासिक और महत्त्वपूर्ण वर्ष माना जाता है। इसी वर्ष उन्होंने पाँच अवसरों पर 200 से अधिक (दोहरा शतक) और छह अवसरों पर सौ से अधिक रन बनाए। अपने जीवन में उन्होंने 500 पारियाँ खेलीं। इनमें से 62 बार वह आखिर तक आउट नहीं हुए। उन्होंने 56.27 की औसत से कुल 24,642 रन बनाए। रन बनाने की उनकी औसत रफ़्तार 50 रन प्रति घण्टा थी।

उपलब्धियाँ

  1. भारत का प्रथम दर्जे का 'रणजी मैच' सर रणजीत सिंह जी के नाम पर उन्हें सम्मान देने के लिए ही रखा गया।
  2. सर रणजीत भारत के प्रथम टैस्ट मैच खिलाड़ी थे। उन्होंने इंग्लैंड कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, लदंन काउंटी तथा ससेक्स का प्रतिनिधित्व किया।
  3. 1907 में उन्होंने ‘हिज हाइनेस श्री सर रणजीत सिंह जी विभाजीर, जाम साहब ऑफ़ नवानगर’ की उपाधि उत्तराधिकार में प्राप्त की।
  4. 1897 में उन्हें ‘विजडन क्रिकेटर ऑफ़ द ईयर’ चुना गया था।
  5. डब्लू. जी. ग्रेस के बाद वह दूसरे ऐसे बल्लेबाज थे, जिसने अपने प्रथम मैच में शतक बनाया था।
  6. रणजीत सिंह जी ने खेल की तकनीक व बारीकियां प्रस्तुत कीं। उन्होंने कुल 15 टैस्ट मैच खेले।
  7. उन्होंने ‘द जुबली ऑफ़ क्रिकेट’ नामक पुस्तक भी लिखी, जिसे क्रिकेट के क्षेत्र में क्लॉसिक माना जाता है।

मृत्यु

रणजी की मृत्यु 2 अप्रॅल, 1933 को हुई। भारत में उनकी स्मृति में रणजी टॉफी प्रतियोगिता शुरू की गई। इसे क्रिकेट की राष्ट्रीय प्रतियोगिता माना जाता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 रणजीत सिंह जी का जीवन परिचय (हिन्दी) कैसे और क्या। अभिगमन तिथि: 06 सितम्बर, 2016।

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