बंग महिला

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बंग महिला (वास्तविक नाम- राजेन्द्रबाला घोष) हिन्दी की प्रथम मौलिक (आधुनिक) कहानी लेखिका के रूप में चिरस्मरणीय हैं। इनका रचना काल 1904 ई. है।[1]

  • ये मीरजापुर के एक प्रतिष्ठित बंगाली महाशय राम प्रसन्न घोष की पुत्री और पूर्णचन्द्र की धर्म पत्नी थीं।
  • मीरजापुर में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के संपर्क में आने के बाद बंग महिला हिन्दी लिखने लगीं।
  • इन्होंने हिन्दी में बहुत-सी बंगला कहानियों का अनुवाद प्रस्तुत करके आधुनिक हिन्दी कहानी का पथ प्रशस्त किया। बाद में कुछ मौलिक कहानियाँ भी लिखीं, जिनमें 'दुलाई वाली' प्रसिद्ध है।[1]
  • 'दुलाई वाली' की कहानी को हिन्दी की प्रथम मौलिक कहानी होेने का श्रेय दिया जाता है। यह 1907 ई. में 'सरस्वती'[2] में प्रकाशित हुई थी। स्थानीय रंगत[3], यथार्थ चित्रण तथा पात्रानुकूल भाषा की दृष्टि से यह कहानी दृष्यव्य है।
  • बंग महिला की अन्य कहानियों (पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित) में भी ये विशेषताएँ पाई जाती हैं।
  • इनका एक कहानी संग्रह ‘कुसुम संग्रह’ के नाम से प्रकाशित हुआ था।
  • सन 1950 ई. के आस-पास बंग महिला की मृत्यु हुई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 हिन्दी साहित्य कोश, भाग 2 |प्रकाशक: ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |संपादन: डॉ. धीरेंद्र वर्मा |पृष्ठ संख्या: 364 |
  2. भाग 8, संख्या 5
  3. लोकल कलर

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