"भरहुत": अवतरणों में अंतर
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*इसके चारों ओर सात फुट ऊँची परिवेष्टनी (चहार दीवारी) का निर्माण किया गया था, जिसमें चार तोरण-द्वार थे। | *इसके चारों ओर सात फुट ऊँची परिवेष्टनी (चहार दीवारी) का निर्माण किया गया था, जिसमें चार तोरण-द्वार थे। | ||
*परिवेष्टनी तथा तोरण-द्वारों पर यक्ष-यक्षिणी तथा अन्यान्य अर्द्ध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तथा जातक कथाएँ तक्षित हैं। | *परिवेष्टनी तथा तोरण-द्वारों पर यक्ष-यक्षिणी तथा अन्यान्य अर्द्ध देवी-[[देवता|देवताओं]] की मूर्तियाँ तथा जातक कथाएँ तक्षित हैं। | ||
*जातक कथाएँ इतने विस्तार से अंकित हैं कि उनके वर्ण्य- विषय को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती। | *जातक कथाएँ इतने विस्तार से अंकित हैं कि उनके वर्ण्य- विषय को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती। | ||
*भरहुत और साँची के तोरणों की मूर्तिकारी तथा [[कला]] में बहुत साम्यता है। इसका कारण इनका निर्माण काल और विषयों का एक होना है। | *भरहुत और साँची के तोरणों की मूर्तिकारी तथा [[कला]] में बहुत साम्यता है। इसका कारण इनका निर्माण काल और विषयों का एक होना है। | ||
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07:06, 18 अगस्त 2012 के समय का अवतरण

भरहुत मध्य प्रदेश के बुन्देलखण्ड में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान है।
- भरहुत द्वितीय- प्रथम शताब्दी ईसा पूर्व में निर्मित बौद्ध स्तूर तथा तोरणो के लिए साँची के समान ही प्रसिद्ध है।
- यह स्तूप शुंगकालीन है और अब इसके केवल अवशेष ही विद्यमान हैं। यह 68 फुट व्यास का बना था।
- इसके चारों ओर सात फुट ऊँची परिवेष्टनी (चहार दीवारी) का निर्माण किया गया था, जिसमें चार तोरण-द्वार थे।
- परिवेष्टनी तथा तोरण-द्वारों पर यक्ष-यक्षिणी तथा अन्यान्य अर्द्ध देवी-देवताओं की मूर्तियाँ तथा जातक कथाएँ तक्षित हैं।
- जातक कथाएँ इतने विस्तार से अंकित हैं कि उनके वर्ण्य- विषय को समझने में कोई कठिनाई नहीं होती।
- भरहुत और साँची के तोरणों की मूर्तिकारी तथा कला में बहुत साम्यता है। इसका कारण इनका निर्माण काल और विषयों का एक होना है।
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