"रॉबिन शॉ": अवतरणों में अंतर
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'''रॉबिन शॉ पुष्प''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Robin Shaw Pushp'', जन्म: 20 दिसंबर, 1936 - मृत्यु: 30 अक्टूबर, 2014) मशहूर कथा, नाटक और पटकथा लेखक थे। आजीवन स्वतंत्र लेखक रहे रॉबिन शॉ पुष्प की पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें [[उपन्यास]], [[कहानी|कहानियां]], [[कविता|कविताएं]], लेख, [[नाटक]] और बाल साहित्य आदि शामिल है। अन्याय को क्षमा, दुल्हन बाजार जैसे उपन्यास, अग्निकुंड, घर कहां भाग गया कहानी संग्रह और [[फणीश्वर नाथ रेणु]] पर लिखी संस्मरण पुस्तक सोने की कलम वाला हिरामन उनकी चर्चित कृतियां हैं। | '''रॉबिन शॉ पुष्प''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Robin Shaw Pushp'', जन्म: 20 दिसंबर, 1936 - मृत्यु: 30 अक्टूबर, 2014) मशहूर कथा, उपन्यास, नाटक और पटकथा लेखक थे। आजीवन स्वतंत्र लेखक रहे रॉबिन शॉ पुष्प की पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें [[उपन्यास]], [[कहानी|कहानियां]], [[कविता|कविताएं]], लेख, [[नाटक]] और बाल साहित्य आदि शामिल है। अन्याय को क्षमा, दुल्हन बाजार जैसे उपन्यास, अग्निकुंड, घर कहां भाग गया कहानी संग्रह और [[फणीश्वर नाथ रेणु]] पर लिखी संस्मरण पुस्तक 'सोने की कलम वाला हिरामन' उनकी चर्चित कृतियां हैं। | ||
==जीवन परिचय== | ==जीवन परिचय== | ||
रॉबिन शॉ पुष्प का जन्म [[मुंगेर]] में [[20 दिसंबर]], [[1936]] को हुआ था। उनकी पहली कहानी धर्मयुग में छपी थी। रेडियो और टीवी के लिए भी उन्होंने कई नाटक, कहानियां लिखी थीं। उनकी कहानियों पर बनी टीवी फिल्में रांची, मुजफ्फरपुर, रायपुर और दिल्ली दूरदर्शन पर कई बार प्रसारित हो चुकी हैं। पटना से प्रकाशित फिल्म पत्रिका ‘चित्र साधना’ और ‘महादेश’ से भी वह लंबे अरसे तक जुड़े रहे थे। उनकी कहानियां [[उर्दू]], [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] में भी अनुवादित हुई हैं। रेडियो पर प्रसारित उनका लिखा नाटक ‘दर्द का सुख’ तो आज भी लोकप्रिय है।<ref>{{cite web |url=http://www.prabhatkhabar.com/news/bihar/story/167693.html |title= नहीं रहे कथाकार रॉबिन शॉ पुष्प|accessmonthday=2 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पत्रिका खबर|language=हिंदी }} </ref> | रॉबिन शॉ पुष्प का जन्म [[मुंगेर]] में [[20 दिसंबर]], [[1936]] को हुआ था। उनकी पहली कहानी धर्मयुग में छपी थी। रेडियो और टीवी के लिए भी उन्होंने कई नाटक, कहानियां लिखी थीं। उनकी कहानियों पर बनी टीवी फिल्में रांची, मुजफ्फरपुर, रायपुर और दिल्ली दूरदर्शन पर कई बार प्रसारित हो चुकी हैं। पटना से प्रकाशित फिल्म पत्रिका ‘चित्र साधना’ और ‘महादेश’ से भी वह लंबे अरसे तक जुड़े रहे थे। उनकी कहानियां [[उर्दू]], [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]], [[पंजाबी भाषा|पंजाबी]], [[मलयालम भाषा|मलयालम]], [[गुजराती भाषा|गुजराती]], [[मराठी भाषा|मराठी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] में भी अनुवादित हुई हैं। रेडियो पर प्रसारित उनका लिखा नाटक ‘दर्द का सुख’ तो आज भी लोकप्रिय है।<ref>{{cite web |url=http://www.prabhatkhabar.com/news/bihar/story/167693.html |title= नहीं रहे कथाकार रॉबिन शॉ पुष्प|accessmonthday=2 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=पत्रिका खबर|language=हिंदी }} </ref> | ||
==साहित्यिक परिचय== | ==साहित्यिक परिचय== | ||
रॉबिन शॉ ने अपनी साहित्यिक जीवन की शुरुआत पत्रिका धर्मयुग से की थी। उसके बाद उनके कई कहानियां विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं। शॉ ने बिहार के गांव कस्बों पर भी कहानियां लिखीं हैं। उनकी कई अनूदित रचनाएं भी आई हैं। रॉबिन शॉ पुष्प की आत्म संस्मरणात्मक रचना यात्रा "एक वेश्या नगर" को पाठकों ने खूब सराहा। उन्होंने कई डॉक्यूमेंटरी फिल्में भी बनाईं और कुछ फिल्मों के लिए पटकथाएं भी लिखीं। इसी वर्ष उनके संपूर्ण रचनाकर्म को समेटती सात खंडों में रॉबिन शॉ पुष्प रचनावली प्रकाशित हुई थी। उनकी कहानियों के अंग्रेजी के अलावा तमाम भारतीय भाषाओं में अनुवाद छपे और सराहे गये। उन्हें शिवपूजन सहाय, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का विशेष साहित्य सेवा सम्मान, फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार, महिषी हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान जैसे अनेक पुरस्कार और सम्मान पाने वाले रॉबिन शॉ पुष्प आजीवन आम आदमी के सुख, दुख, प्रेम और संघर्ष के लेखक रहे। उनकी पत्नी गीता पुष्प शॉ भी प्रख्यात लेखिका हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.khaskhabar.com/picture-news/news-prominant-writer-robin-shaw-pushp-no-more-1-27545.html |title= मशहूर लेखक रॉबिन शॉ पुष्प का निधन|accessmonthday=2 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=खास खबर|language=हिंदी }} </ref> | रॉबिन शॉ ने अपनी साहित्यिक जीवन की शुरुआत पत्रिका धर्मयुग से की थी। उसके बाद उनके कई कहानियां विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं। शॉ ने बिहार के गांव कस्बों पर भी कहानियां लिखीं हैं। उनकी कई अनूदित रचनाएं भी आई हैं। रॉबिन शॉ पुष्प की आत्म संस्मरणात्मक रचना यात्रा "एक वेश्या नगर" को पाठकों ने खूब सराहा। उन्होंने कई डॉक्यूमेंटरी फिल्में भी बनाईं और कुछ फिल्मों के लिए पटकथाएं भी लिखीं। इसी वर्ष उनके संपूर्ण रचनाकर्म को समेटती सात खंडों में रॉबिन शॉ पुष्प रचनावली प्रकाशित हुई थी। उनकी कहानियों के अंग्रेजी के अलावा तमाम भारतीय भाषाओं में अनुवाद छपे और सराहे गये। उन्हें शिवपूजन सहाय, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का विशेष साहित्य सेवा सम्मान, फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार, महिषी हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान जैसे अनेक पुरस्कार और सम्मान पाने वाले रॉबिन शॉ पुष्प आजीवन आम आदमी के सुख, दुख, प्रेम और संघर्ष के लेखक रहे। उनकी पत्नी गीता पुष्प शॉ भी प्रख्यात लेखिका हैं।<ref>{{cite web |url=http://www.khaskhabar.com/picture-news/news-prominant-writer-robin-shaw-pushp-no-more-1-27545.html |title= मशहूर लेखक रॉबिन शॉ पुष्प का निधन|accessmonthday=2 नवम्बर |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=खास खबर|language=हिंदी }} </ref> | ||
==प्रमुख कृतियाँ== | |||
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* अन्याय को क्षमा | |||
* बंद कमरे का सफर | |||
* देहयात्रा | |||
* जागी आंखों का सपना | |||
* खुशबू बहुत है | |||
* दुल्हन बाजार | |||
* गवाह बेगमसराय | |||
; कहानी संग्रह | |||
* दस प्रतिनिधि कहानियां | |||
* अंधे आकाश का सूरज | |||
* नंगी खिड़कियों का घर | |||
* अजनबी होता हुआ मकान | |||
* आखिरी सांस का किराया | |||
* अग्निकुंड<ref name="hindustan"/> | |||
==सम्मान एवं पुरस्कार== | |||
* [[1965]] में उदीयमान साहित्यिक पुरस्कार, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, बिहार सरकार | |||
* [[1980]] में कला एवं साहित्यिक सेवा के लिए विशेष सम्मान, मंथन कला परिषद्, खगौल | |||
* [[1976]] में हिंदी सेवा तथा श्रेष्ठ साहित्यिक सृजन के लिए सारस्वत सम्मान | |||
* [[1987]] में शिव पूजन सहाय पुरस्कार, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार | |||
* [[1994]] में विशेष साहित्य सेवी सम्मान पुरस्कार, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, बिहार सरकार | |||
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10:49, 2 नवम्बर 2014 का अवतरण
रॉबिन शॉ पुष्प (अंग्रेज़ी: Robin Shaw Pushp, जन्म: 20 दिसंबर, 1936 - मृत्यु: 30 अक्टूबर, 2014) मशहूर कथा, उपन्यास, नाटक और पटकथा लेखक थे। आजीवन स्वतंत्र लेखक रहे रॉबिन शॉ पुष्प की पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनमें उपन्यास, कहानियां, कविताएं, लेख, नाटक और बाल साहित्य आदि शामिल है। अन्याय को क्षमा, दुल्हन बाजार जैसे उपन्यास, अग्निकुंड, घर कहां भाग गया कहानी संग्रह और फणीश्वर नाथ रेणु पर लिखी संस्मरण पुस्तक 'सोने की कलम वाला हिरामन' उनकी चर्चित कृतियां हैं।
जीवन परिचय
रॉबिन शॉ पुष्प का जन्म मुंगेर में 20 दिसंबर, 1936 को हुआ था। उनकी पहली कहानी धर्मयुग में छपी थी। रेडियो और टीवी के लिए भी उन्होंने कई नाटक, कहानियां लिखी थीं। उनकी कहानियों पर बनी टीवी फिल्में रांची, मुजफ्फरपुर, रायपुर और दिल्ली दूरदर्शन पर कई बार प्रसारित हो चुकी हैं। पटना से प्रकाशित फिल्म पत्रिका ‘चित्र साधना’ और ‘महादेश’ से भी वह लंबे अरसे तक जुड़े रहे थे। उनकी कहानियां उर्दू, बांग्ला, पंजाबी, मलयालम, गुजराती, मराठी और मैथिली में भी अनुवादित हुई हैं। रेडियो पर प्रसारित उनका लिखा नाटक ‘दर्द का सुख’ तो आज भी लोकप्रिय है।[1]
साहित्यिक परिचय
रॉबिन शॉ ने अपनी साहित्यिक जीवन की शुरुआत पत्रिका धर्मयुग से की थी। उसके बाद उनके कई कहानियां विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं। शॉ ने बिहार के गांव कस्बों पर भी कहानियां लिखीं हैं। उनकी कई अनूदित रचनाएं भी आई हैं। रॉबिन शॉ पुष्प की आत्म संस्मरणात्मक रचना यात्रा "एक वेश्या नगर" को पाठकों ने खूब सराहा। उन्होंने कई डॉक्यूमेंटरी फिल्में भी बनाईं और कुछ फिल्मों के लिए पटकथाएं भी लिखीं। इसी वर्ष उनके संपूर्ण रचनाकर्म को समेटती सात खंडों में रॉबिन शॉ पुष्प रचनावली प्रकाशित हुई थी। उनकी कहानियों के अंग्रेजी के अलावा तमाम भारतीय भाषाओं में अनुवाद छपे और सराहे गये। उन्हें शिवपूजन सहाय, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का विशेष साहित्य सेवा सम्मान, फणीश्वरनाथ रेणु पुरस्कार, महिषी हिन्दी साहित्य रत्न सम्मान जैसे अनेक पुरस्कार और सम्मान पाने वाले रॉबिन शॉ पुष्प आजीवन आम आदमी के सुख, दुख, प्रेम और संघर्ष के लेखक रहे। उनकी पत्नी गीता पुष्प शॉ भी प्रख्यात लेखिका हैं।[2]
प्रमुख कृतियाँ
- उपन्यास
- अन्याय को क्षमा
- बंद कमरे का सफर
- देहयात्रा
- जागी आंखों का सपना
- खुशबू बहुत है
- दुल्हन बाजार
- गवाह बेगमसराय
- कहानी संग्रह
- दस प्रतिनिधि कहानियां
- अंधे आकाश का सूरज
- नंगी खिड़कियों का घर
- अजनबी होता हुआ मकान
- आखिरी सांस का किराया
- अग्निकुंड[3]
सम्मान एवं पुरस्कार
- 1965 में उदीयमान साहित्यिक पुरस्कार, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, बिहार सरकार
- 1980 में कला एवं साहित्यिक सेवा के लिए विशेष सम्मान, मंथन कला परिषद्, खगौल
- 1976 में हिंदी सेवा तथा श्रेष्ठ साहित्यिक सृजन के लिए सारस्वत सम्मान
- 1987 में शिव पूजन सहाय पुरस्कार, राजभाषा विभाग, बिहार सरकार
- 1994 में विशेष साहित्य सेवी सम्मान पुरस्कार, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, बिहार सरकार
- 1994 में बिहार के साहित्यकारों की कृतियों को सम्म्पादित एवं प्रकाशित करने की दिशा में किये गए कार्यों के लिए ह्यमुरली सम्मान, शब्दांजलि, पटना
- 1994 में हिंदी कथा-साहित्य की संमृद्धि में महत्त्वपूर्ण योगदान के लिए राजभाषा विभाग, बिहार सरकार द्वारा फणीश्वर नाथ रेणु पुरस्कार
- 2002 में मसीही हिंदी साहित्य-रतन-सम्मान से काथलिक हिंदी साहित्य समिति (भारत के काथलिक की हिंदी समिति) द्वारा इलाहाबाद में[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ नहीं रहे कथाकार रॉबिन शॉ पुष्प (हिंदी) पत्रिका खबर। अभिगमन तिथि: 2 नवम्बर, 2014।
- ↑ मशहूर लेखक रॉबिन शॉ पुष्प का निधन (हिंदी) खास खबर। अभिगमन तिथि: 2 नवम्बर, 2014।
- ↑ 3.0 3.1 सुलभ, ऋषिकेश। अपने समय की युवा आहटों को सुनते रहे (हिंदी) हिंदुस्तान लाइव। अभिगमन तिथि: 2 नवम्बर, 2014।
बाहरी कड़ियाँ
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