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08:57, 11 जनवरी 2014 का अवतरण

क्षितिजमोहन सेन (जन्म- 1880, वाराणसी, उत्तर प्रदेश; मृत्यु- 12 मार्च, 1960) का मध्यकालीन संत साहित्य के मर्मज्ञ समीक्षकों में अग्रणी स्थान है। क्षितिजमोहन सेन की गिनती अपने समय के प्रमुख संस्कृत विद्वानों में की जाती थी। ये अमर्त्य सेन के नाना थे। अपने नाना के प्रभाव से ही अमर्त्य सेन ने संस्कृत सीखी थी और भाषायी विद्वत्ता हासिल की।[1]

  • क्षितिजमोहन सेन का जन्म सन 1880 में भारत की प्राचीन नगरी वाराणसी में हुआ था।
  • कवीन्द्र-रवीन्द्र के शिक्षण संस्थान ‘विश्व भारती के अंतर्गत क्षितिजमोहन सेन ‘विद्या भवन’ के अध्यक्ष बने थे।
  • मध्य काल के संत साहित्य के मर्मज्ञ समीक्षकों में इनका अग्रणी स्थान है।
  • बांग्ला भाषा में उत्कृष्ट लेखन के अतिरिक्त हिन्दी में भी क्षितिजमोहन सेन ने ‘भारतवर्ष में जाति भेद’ तथा 'संस्कृति संगम' नामक कृतियाँ रची थीं।
  • 'विश्व भारती' से सेवा-निवृत्ति के उपरांत क्षितिजमोहन सेन वहाँ ‘कुल स्थविर’ के रूप में प्रतिष्ठित थे। इस संस्थान ने आपको ‘देशिकोत्तम’ की उपाधि से सम्मानित किया था।
  • हिन्दी में भी समय-समय पर इन्हें कई बार सम्मान मिला था।
  • 12 मार्च, सन 1960 को क्षितिजमोहन सेन का स्वर्गवास हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काशी के साहित्यकार (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 11 जनवरी, 2014।

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