मुकुंदी लाल श्रीवास्तव

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मुकुंदी लाल श्रीवास्तव (अंग्रेज़ी: Mukundi Lal Srivastava ; जन्म- 25 अक्टूबर, 1896, सागर ज़िला, मध्य प्रदेश) भारत के प्रसिद्ध साहित्यकार तथा लेखक थे। इनकी प्रथम रचना सन 1912 ई. के 'बाल हितैषी' (मेरठ) में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद इनके कई लेख और कविताएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। मुकुंदी लाल ने 'ज्ञानमण्डल' एवं 'काशी विद्यापीठ' में रहकर लगभग 20 पुस्तकों का सम्पादन करने के अतिरिक्त 'ग्रीस और रोम के महापुरुष' एवं 'पश्चिमी यूरोप' के द्वितीय भाग के अर्धांश का अनुवाद किया। इसमें राजवल्लभ सहाय का भी सहयोग इनको मिला था। इसके अतिरिक्त इन्होंने तथा राजवल्लभ सहाय ने कई वर्षों के कठिन परश्रिम के बाद 'हिन्दी शब्द संग्रह' नामक एक बहुमूल्य कोश भी तैयार किया।

जन्म

मुकुंदी लाल श्रीवास्तव का जन्म रविवार, 25 अक्टूबर, सन 1896 ई. में सागर ज़िले के 'गोरझामर' नामक ग्राम में अपने मामा के यहाँ हुआ था। ये जबलपुर, मध्य प्रदेश के निवासी थे।

शिक्षा

मुकुंदी लाल श्रीवास्तव ने मैट्रिक तथा एफ.ए. में उत्तीर्ण छात्रों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था, जिस कारण राज्य की ओर से वे छात्रवृत्ति पाते रहे। इसके बाद बी.ए. में भी इनको सरकारी छात्रवृत्ति मिली। मुकुंदी लाल श्रीवास्तव की शिक्षा इनके मामा के यहाँ ही हुई थी। नवम्बर, 1917 ई. में मामा की मृत्यु हो जाने के कारण उनके परिवार के भरण-पोषण की आवश्यकता वश इन्होंने पढ़ाई छोड़कर स्टेट हाईस्कूल में नौकरी कर ली। बाद में बड़े मामा की नौकरी लग जाने पर ये अपने घर जबलपुर चले आये और 'राबर्टसन कालेज' से सन 1920 ई. में बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की।

बाद में मुकुंदी लाल 'दर्शनशास्त्र' में एम.ए. करने के विचार से नागपुर चले गये और वहाँ से सरकारी महाविद्यालय में प्रविष्ट हो गये। उसी वर्ष नागपुर में 'राष्ट्रीय महासभा' का अधिवेशन हुआ। उसमें स्वीकृत असहयोग के प्रस्ताव से प्रभावित होकर इन्होंने एम.ए. प्रीवियस की पढ़ाई समाप्त हो जाने पर कालेज छोड़ दिया।


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