मृदा जल

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मिट्टी में नमी के रूप में उपस्थित जल जो पौधों की जड़ों को प्राप्त होता है, मृदा जल कहलाता है। मृदा में स्थित जल को मृदा जल अथवा फ़िल्म वाटर की संज्ञा दी जाती है। मृदा एवं अन्य पदार्थों से युक्त वातन क्षेत्र का वह भाग जो पृथ्वी की सतह के अति निकट होता है और जिससे पादपों के वाष्पोत्सर्जन या मृदा के वाष्पन द्वारा वायुमंडल में अभिगम्य मात्रा में जल विसर्जित होता है।

विशेषता

मृदा जल रंध्राकाश में रहता है तथा ठोस कणों (खनिज पदार्थ तथा जैवांश) द्वारा जल की मात्रा के अनुसार परिवर्ती बल से धारित रहता है। मृदा जल में विलेय लवण होते है जो तथाकथित मृदा विलयन संरचित करते है जो पौधों को पोषक तत्व आपूर्ति करने का माध्यम के रूप में महत्त्वपूर्ण है। मृदा विलयन से जब पोषक तत्व अवशोषित कर लिए जाते है तो उन्हें ठोस कणों (खनिज तथा जैवांश) से पुनर्नवीकृत किया जाता है। पौधों की वृद्धि के लिए माध्यम के रूप में मृदा कार्य करती रहे, इसके लिए उसमें कुछ जल रहना अनिवार्य है।[1]

मृदा में जल के कार्य

  • मृदा में अनेक भौतिक, रासायनिक तथा जैविक सक्रियाओं को प्रोत्साहित करता है।
  • पोषक तत्वों के विलायक तथा वाहक के रूप में कार्य करता हैं।
  • पौधों की कोशिकाओं में तनाव बनाए रखने हेतु पौधों की जड़े मृदा से जल अवशोषित करती है।
  • प्रकाश संष्लेषण प्रक्रिया में एक कर्मक का कार्य करता है।
  • मृदा जीवों के लिए उपयुक्त पर्यावरण प्रदान करता है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 भूमि एवं मृदा (हिन्दी) इंडिया वाटर पोर्टल (हिन्दी)। अभिगमन तिथि: 6 मई, 2012।

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