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'''दिक्सूचक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Compass'') दिशा का ज्ञान कराने वाला यंत्र है। यह यंत्र महासागरों और मरुस्थलों में दिशा निर्देशन के बहुत काम आता है या उन स्थानों पर भी जहाँ स्थानसूचकों की कमी है। यह माना जाता है कि सबसे पहले दिक्सूचक का आविष्कार [[चीन]] के हान राजवंश ने किया था। यह एक बड़ी चम्मच-जैसी चुम्बकीय वस्तु थी, जो काँसे की तस्तरी पर मैग्नेटाइट अयस्क को बिठा कर बनाई गई थी। दिक्सूचक का प्राथमिक कार्य एक निर्देश दिशा की ओर संकेत करना है, जिससे अन्य दिशाएँ ज्ञात की जाती हैं। ज्योतिर्विदों और पर्यवेक्षकों के लिए सामान्य निर्देश दिशा दक्षिण है एवं अन्य व्यक्तियों के लिए निर्देश दिशा उत्तर है। | '''दिक्सूचक''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Compass'') दिशा का ज्ञान कराने वाला यंत्र है। यह यंत्र महासागरों और मरुस्थलों में दिशा निर्देशन के बहुत काम आता है या उन स्थानों पर भी जहाँ स्थानसूचकों की कमी है। यह माना जाता है कि सबसे पहले दिक्सूचक का आविष्कार [[चीन]] के हान राजवंश ने किया था। यह एक बड़ी चम्मच-जैसी चुम्बकीय वस्तु थी, जो काँसे की तस्तरी पर मैग्नेटाइट अयस्क को बिठा कर बनाई गई थी। दिक्सूचक का प्राथमिक कार्य एक निर्देश दिशा की ओर संकेत करना है, जिससे अन्य दिशाएँ ज्ञात की जाती हैं। ज्योतिर्विदों और पर्यवेक्षकों के लिए सामान्य निर्देश दिशा दक्षिण है एवं अन्य व्यक्तियों के लिए निर्देश दिशा उत्तर है। | ||
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12:22, 20 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

दिक्सूचक (अंग्रेज़ी: Compass) दिशा का ज्ञान कराने वाला यंत्र है। यह यंत्र महासागरों और मरुस्थलों में दिशा निर्देशन के बहुत काम आता है या उन स्थानों पर भी जहाँ स्थानसूचकों की कमी है। यह माना जाता है कि सबसे पहले दिक्सूचक का आविष्कार चीन के हान राजवंश ने किया था। यह एक बड़ी चम्मच-जैसी चुम्बकीय वस्तु थी, जो काँसे की तस्तरी पर मैग्नेटाइट अयस्क को बिठा कर बनाई गई थी। दिक्सूचक का प्राथमिक कार्य एक निर्देश दिशा की ओर संकेत करना है, जिससे अन्य दिशाएँ ज्ञात की जाती हैं। ज्योतिर्विदों और पर्यवेक्षकों के लिए सामान्य निर्देश दिशा दक्षिण है एवं अन्य व्यक्तियों के लिए निर्देश दिशा उत्तर है।
इतिहास
यह अब तक विदित नहीं है कि दिक्सूचक का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया। अति प्राचीन काल में चीनियों द्वारा दिक्सूचक का प्रयोग किए जाने की कथा कदाचित् एक कल्पित आख्यान ही है। ऐसा कहा जाता है कि 2,634 ईसवी पूर्व में चीन के सम्राट् ह्वाङ्गटी के रथ पर दक्षिण दिशा प्रदर्शित करने के लिए एक यंत्र की व्यवस्था रहती थी। इसकी भी संभावना है कि अरबवासियों ने दिक्सूचक का उपयोग चीनियों से ही सीखा हो और उन्होंने इसको यूरोप में प्रचलित किया हो। यूरोपीय साहित्य में दिक्सूचक का प्रथम परिचय 1200 ईसवी में अथवा इसके उपरांत ही मिलता है। सन् 1400 ईसवी के उपरांत से इस यंत्र का उपयोग नौचालन, विमान चालन एवं समन्वेषण में अत्यधिक बढ़ गया है। नाविक दिक्सूचक अत्यधिक समय तक बड़े ही अपरिष्कृत यंत्र थे। 1820 में बार्लो ने चार पाँच समांतर चुंबकों से युक्त एक पत्रक का सूत्रपात किया। सन् 1876 में सर विलियम टॉमसन (लार्ड केल्विन) ने अपने शुष्क पत्रक दिक्सूचक का निर्माण किया। सन् 1882 में द्रवदिक्सूचक का निर्माण हुआ।[1]
प्रकार
दिक्सूचक मुख्यत: चार प्रकार के होते हैं-
- चुंबकीय दिक्सूचक (Magnetic Compass) - यह निदेशक बल प्राप्त करने के लिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र पर निर्भर करता है।
- घूर्णदर्शीय दिक्सूचक (Gyroscopic compass) - यह पृथ्वी के घूर्णन से अपना निदेशक बल प्राप्त करता है।
- रेडियो दिक्सूचक (Radio compass) - इसकी कार्यप्रणाली बेतार सिद्धांत पर आधारित है।
- सूर्य अथवा तारा दिक्सूचक (Solar or Astral compass) - इसका उपयोग सूर्य अथवा किसी तारे के दृष्टिगोचर होने पर निर्भर करता है।
दिक्सूचक इस्तेमाल करने वाले प्रसिद्ध व्यक्ति
व्यक्ति | महत्त्व | |
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1. | प्रिंस हेनरी नेविगेटर | पुर्तगाली राजकुमार ने अफ़्रीका, अमेरिका और यूरोप में कई यात्राओं को प्रायोजित किया। |
2. | क्रिस्टोफर कोलंबस | इटैलियन एक्सप्लोरर, जिन्होंने भविष्य में यूरोपियों के लिए अमेरिका को खोलने में मदद की। |
3. | जॉन कैबोट | अंग्रेज़ एक्सप्लोरर जिसने उत्तरी अमेरिका के तट की खोज की। |
4. | फर्डिनेंड मैगेलान | इसने दुनिया भर में पहली सफल यात्रा का नेतृत्व किया। |
5. | हर्नान्डो कोर्टेज | स्पैनिश विजेता जिसने एज़्टेक साम्राज्य को हराया और स्पेन के लिए मेक्सिको की स्थापना की। |
6. | वास्को डिगामा | पुर्तगाली खोजकर्ता जो सबसे पहले समुद्र तट से भारत तक पहुंचने वाला यूरोपीय था। |
7. | हरनडो डी सोतो | स्पेनिश कन्क्वाइस्टाडोर जो मिसिसिपी नदी के दस्तावेज और अन्वेषण के लिए पहला यूरोपीय बन गया। |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ दिशा सूचक यंत्र (हिंदी) storyboardthat.com। अभिगमन तिथि: 20 जनवरी, 2018।