- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत श्रावण से चार मासों में करना चाहिए।
- आयुध व्रत में शंख, चक्र, गदा एवं पद्म, जो क्रम से वासुदेव, संकर्षण, प्रद्युम्न एवं अनिरुद्ध के द्योतक हैं) की पूजा करनी चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ विष्णुधर्मोत्तर पुराण (3|148|1-6), हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 831)।
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