पक्षवर्धिनी एकादशी
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- जब पूर्णिमा या अमावास्या आगे की प्रतिपदा तक बढ़ जाती है तो इसे पक्षवर्धिनी कहा जाता है।
- इसी प्रकार एकादशी भी इसी संज्ञा से परिज्ञात होती है, जब कि वह द्वादशी तक चली जाती है।
- विष्णु भगवान की स्वर्ण प्रतिमा की पूजा की जाती है।
- संगीत एवं नृत्य के साथ जागर (जागरण) भी किया जाता है।[1]
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