श्येनग्रासन विधि

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी, अष्टमी, नवमी या चतुर्दशी पर यह व्रत किया जाता है।
  • स्त्रियों के लिए यह व्रत होता है।
  • कृत (सत्य) युग में नारियाँ देवी तक पहुँचाने के लिए श्येन (बाज) को एक ग्रास देती थीं।
  • किन्तु आजकल ऐसा नहीं किया जाता, अब नारियाँ भोजन अपने पतियों के पास ले जाती हैं और उसके उपरान्त खाती हैं।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 641-643, आदित्य पुराण से उद्धरण)।

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