- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- वेदव्रत चतुमूर्तिव्रत है।
- चैत्र से ऋग्वेद पूजा; नक्तविधि; वेद श्रवण से की जाती है।
- अन्त में (ज्येष्ठ पूर्णिमा) दो वस्त्रों, सोना, गाय, घृत पूर्ण पीतल के पात्र का दान देना चाहिए।
- आषाढ़, श्रावण एवं भाद्रपद में यजुर्वेद व्रत करना चाहिए।
- आश्विन, कार्तिक एवं मार्गशीर्ष में सामदेव व्रत करना चाहिए।
- पौष, माघ एवं फाल्गुन में सभी वेदों का व्रत करना चाहिए।
- वास्तव में यह वेदों की आत्मा वासुदेव की पूजा है।
- वेदव्रत 12 वर्षों तक करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि वेदव्रत से सभी दु:खों से मुक्ति मिल जाती है।
- विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 827-828, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|141|1-7 से उद्धरण
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