भर्तृप्राप्ति व्रत
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- नारद ने यह उन अप्सराओं के गण को सुनाया था, जो नारायण को पति बनाना चाहती थीं।
- वसन्त शुक्ल द्वादशी को यह व्रत किया जाता है।
- इस व्रत में उपवास किया जाता है।
- हरि एवं लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
- दोनों की प्रतिमाएँ एवं उनके विभिन्न अंगों पर विभिन्न नामों से कामदेव का न्यास किया जाता है।
- दूसरे दिन ब्राह्मण को प्रतिमाओं का दान करना चाहिए।[1]
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