- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कुछ नक्षत्रों में कुछ कर्म वर्जित हैं।
- यहाँ पर कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं।[1] 'चित्रा, हस्त एवं श्रवण में तिल के तेल का प्रयोग, विशाखा एवं अभिजीत में क्षौर कर्म, मूल, मृगशिरा एवं भाद्रपदा में मांस तथा मघा, कृतिका एवं उत्तरा में मैथुन नहीं करना चाहिए।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वर्षक्रियाकौमुदी (87-88) एवं तिथितत्त्व (28) एक श्लोक उद्धृत करते हैं
- ↑ वायु पुराण(14|50-51)।
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