देवमूर्ति व्रत

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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र शुक्ल पक्ष की पड़वा से यह व्रत प्रारम्भ हो जाता है।
  • एक वर्ष तक प्रत्येक मास में चार दिनों तक क्रम से शिव, अग्नि, विरूपाक्ष एवं वायु की मूर्तियों की दही, तिल, यवों एवं घी से पूजा की जाती है।
  • यह चतुमूर्तिव्रत है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 504-505, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)

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