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*द्विदल धान्य, यथा—तूर, राजिका, माष, मुद्ग, मसूर, चना, कुलित्थ का वर्जन होता है।<ref>निर्णयसिन्धु (104-105)।</ref>  
 
*द्विदल धान्य, यथा—तूर, राजिका, माष, मुद्ग, मसूर, चना, कुलित्थ का वर्जन होता है।<ref>निर्णयसिन्धु (104-105)।</ref>  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

11:50, 15 जून 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत कार्तिक में होता है।
  • द्विदल धान्य, यथा—तूर, राजिका, माष, मुद्ग, मसूर, चना, कुलित्थ का वर्जन होता है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. निर्णयसिन्धु (104-105)।

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