व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - " {{लेख प्रगति |आधार=आधार1 |प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}" to "") |
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "उल्लखित" to "उल्लिखित") |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | + | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। |
*[[चैत्र]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] पर यह व्रत आरम्भ होता है। | *[[चैत्र]] [[कृष्ण पक्ष]] की [[चतुर्दशी]] पर यह व्रत आरम्भ होता है। | ||
*[[शंकर]] जी की पूजा और रात्रि में उत्सव किया जाता है। | *[[शंकर]] जी की पूजा और रात्रि में उत्सव किया जाता है। |
18:04, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- चैत्र कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर यह व्रत आरम्भ होता है।
- शंकर जी की पूजा और रात्रि में उत्सव किया जाता है।
- उस दिन निकुम्भ शंकर की पूजा करता है।
- अतः निकुम्भ को सम्मानित करना चाहिए और गोशालाओं, नदियों, मार्गों, शिखरों आदि पर पिशाचों को बलि देनी चाहिए।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ निर्णयामृत (55-56, श्लोक 674-681)।
अन्य संबंधित लिंक
|