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*कई प्रकार के मिले-जुले व्रत किये जाते हैं। | *कई प्रकार के मिले-जुले व्रत किये जाते हैं। | ||
− | *कृत्यकल्पतरु<ref>कृत्यकल्पतरु (452-468</ref>; हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 868-1002</ref>; कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (540-593</ref>; कालनिर्णय<ref>कालनिर्णय (326-358</ref>; वर्षक्रियाकौमुदी<ref>वर्षक्रियाकौमुदी (533-564</ref>के अनुसार इन व्रतों में अधिकांश की चर्चा यथास्थान | + | *कृत्यकल्पतरु<ref>कृत्यकल्पतरु (452-468</ref>; हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 868-1002</ref>; कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (540-593</ref>; कालनिर्णय<ref>कालनिर्णय (326-358</ref>; वर्षक्रियाकौमुदी<ref>वर्षक्रियाकौमुदी (533-564</ref>के अनुसार इन व्रतों में अधिकांश की चर्चा यथास्थान पृथक् रूप से हुई है। |
13:31, 1 अगस्त 2017 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- कई प्रकार के मिले-जुले व्रत किये जाते हैं।
- कृत्यकल्पतरु[1]; हेमाद्रि[2]; कृत्यरत्नाकर[3]; कालनिर्णय[4]; वर्षक्रियाकौमुदी[5]के अनुसार इन व्रतों में अधिकांश की चर्चा यथास्थान पृथक् रूप से हुई है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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