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11:10, 8 दिसम्बर 2013 का अवतरण
मोक्षदा एकादशी
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अन्य नाम | गीता जयन्ती |
अनुयायी | हिंदू |
तिथि | मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी |
धार्मिक मान्यता | इसी दिन भगवान कृष्ण ने मोहित हुए अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। |
अन्य जानकारी | भगवान दामोदर (विष्णु) की धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराकर दानादि देने से विशेष फल प्राप्त होता है। |
मोक्षदा एकादशी पुराणों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहा जाता है। इसी दिन 'गीता जयन्ती' भी मनाई जाती है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने मोहित हुए अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।
व्रत एवं उत्सव
इस दिन गीता, श्रीकृष्ण, व्यास जी आदि का विधिपूर्वक पूजन करके गीता जयन्ती का उत्सव मनाया जाता है। भगवान दामोदर (विष्णु) की धूप, दीप, नैवेद्य से पूजा करनी चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराकर दानादि देने से विशेष फल प्राप्त होता है। इस दिन व्रत करने से दुर्लभ मोक्ष पद की प्राप्ति होती है।
कथा
एक समय गोकुल नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। एक दिन राजा ने स्वप्न में एक आश्चर्य की बात देखी। उसका पिता नरक में पड़ा है और वह अपने पुत्र से उद्धार की याचना कर रहा है। राजा अपने पिता की यह दशा देख व्याकुल हो उठा। उसी समय उसकी निद्रा भंग हो गई। प्रातः राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर अपने स्वप्न का भेद पूछा। तब ब्राह्मणों ने कहा- 'हे राजन! इसके लिए पर्वत नामक मुनि के आश्रम में जाकर इसका उद्धार पूछो।' तब राजा ने वैसा ही किया। जब पर्वत मुनि ने राजा की बात सुनी, वे चिंतित हो गए। उन्होंने अपनी योग दृष्टि से राजा के पिता को देखा और बोले- 'राजन! पूर्वजन्म के पापों से आपके पिताजी को नर्कवास प्राप्त हुआ है। उन्होंने सौतेली स्त्री के वश में होकर दूसरी स्त्री को रतिदान का निषेध कर दिया था। इसी दोष से उन्हें नरक की प्राप्ति हुई है। अब तुम मोक्षदा एकादशी को व्रत कर उसका फल अपने पिता को अर्पण करो तो उनकी मुक्ति हो सकती है।' राजा ने मुनि के कथानुसार ही मोक्षदा एकादशी का यथा नियम व्रत किया और ब्राह्मणों को भोजन करा दक्षिणा, वस्त्रादि अर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस उत्तम कर्म से उसने प्रत्यक्ष देखा कि आकाश में मंगल ध्वनि हो रही है और उसका पिता विमान में बैठ स्वर्ग को जा रहा है। उसके पिता ने कहा- 'हे पुत्र! मैं थोड़े समय यह स्वर्ग का सुख भोग मोक्ष को प्राप्त कर जाऊँगा। तेरे व्रत के प्रभाव से मेरा नर्कवास छूट गया, तेरा कल्याण हो।'
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