सुकृततृतीया व्रत
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- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत हस्त नक्षत्र में श्रावण शुक्ल पक्ष की तृतीया पर किया जाता है।
- नारायण एवं लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।
- तीन वर्षों के लिए करना चाहिए।
- मंत्र ये हैं–[1]
- कृष्ण ने इस व्रत का वर्णन अपनी बहन सुभद्रा से किया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 'विष्णोर्नु कम्' (ऋग्वेद 1|154|1) एवं 'सक्तुभिव' (ऋग्वेद 10|72|2); व्रतराज (101-103)
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