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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
*इस व्रत में देवों के स्वामी की पूजा से सर्वोत्तम स्थिति की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 792, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>  
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*इस व्रत में देवों के स्वामी की पूजा से सर्वोत्तम स्थिति की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 792, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण</ref>  
 
*एक वर्ष तक सी [[अष्टमी|अष्टमियों]] पर नक्तविधि से भोजन करना चाहिए।
 
*एक वर्ष तक सी [[अष्टमी|अष्टमियों]] पर नक्तविधि से भोजन करना चाहिए।
 
*अन्त में गोदान करना चाहिए।
 
*अन्त में गोदान करना चाहिए।
 
*[[इन्द्र]] की स्थिति की प्राप्ति होती है।  
 
*[[इन्द्र]] की स्थिति की प्राप्ति होती है।  
*हेमाद्रि, [[मत्स्यपुराण]], अहल्याकामधेनु<ref>(हेमादि व्रतखण्ड 1, 881, [[पद्म पुराण]] से उद्धरण); (मत्स्य पुराण 101|6); अहल्याकामधेनु (पाण्डुलिपि 561 बी)</ref> ने इसे सुगत्यष्टमी कहा है।
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*हेमाद्रि, [[मत्स्यपुराण]], अहल्याकामधेनु<ref>हेमादि व्रतखण्ड 1, 881, [[पद्म पुराण]] से उद्धरण); (मत्स्य पुराण 101|6); अहल्याकामधेनु (पाण्डुलिपि 561 बी</ref> ने इसे सुगत्यष्टमी कहा है।
  
 
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13:02, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • इस व्रत में देवों के स्वामी की पूजा से सर्वोत्तम स्थिति की प्राप्ति होती है।[1]
  • एक वर्ष तक सी अष्टमियों पर नक्तविधि से भोजन करना चाहिए।
  • अन्त में गोदान करना चाहिए।
  • इन्द्र की स्थिति की प्राप्ति होती है।
  • हेमाद्रि, मत्स्यपुराण, अहल्याकामधेनु[2] ने इसे सुगत्यष्टमी कहा है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 792, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण
  2. हेमादि व्रतखण्ड 1, 881, पद्म पुराण से उद्धरण); (मत्स्य पुराण 101|6); अहल्याकामधेनु (पाण्डुलिपि 561 बी

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