"मंगल व्रत": अवतरणों में अंतर

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*बार-बार करना; प्रतिदान दान, होम, जप, पूजा, एक कुमारियों को भोजन कराया जाता है।
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*पशु बलि, नृत्य, नाटक एवं संगीत से जागरण किया जाता है।  
*पशु बलि, नृत्य, नाटक एवं संगीत से जागरण किया जाता है।  
*देवी के 18 नामों का जाप किया जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 332-335, देवीपुराण से उद्धरण)</ref>
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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मंगल एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- मंगल (बहुविकल्पी)
  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • आश्विन की कृष्ण अष्टमी पर यह व्रत किया जाता है।
  • माघ, चैत्र या श्रावण में भी यह व्रत किया जाता है।
  • यह आगे की शुक्लाष्टमी तक की जाती है।
  • अष्टमी को एकभक्त; कुमारियों तथा देवी भक्तों को भोजन कराया जाता है।
  • नवमी को नक्त, दशमी को अयाचित तथा एकादशी को उपवास किया जाता है।
  • बार-बार करना; प्रतिदान दान, होम, जप, पूजा, एक कुमारियों को भोजन कराया जाता है।
  • पशु बलि, नृत्य, नाटक एवं संगीत से जागरण किया जाता है।
  • देवी के 18 नामों का जाप किया जाता है।[1]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत0 2, 332-335, देवीपुराण से उद्धरण

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