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*इस व्रत में एक वर्ष तक 'ताम्बुल' (मुखवास) का त्याग करना चाहिए। | *इस व्रत में एक वर्ष तक 'ताम्बुल' (मुखवास) का त्याग करना चाहिए। | ||
*वर्ष के अन्त में एक गाय का दान करना चाहिए। | *वर्ष के अन्त में एक गाय का दान करना चाहिए। | ||
*ऐसी मान्यता है कि कर्ता इस व्रत को करने से यक्षों का अधिपति हो जाता | *ऐसी मान्यता है कि कर्ता इस व्रत को करने से यक्षों का अधिपति हो जाता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 865</ref>, <ref>[[पद्म पुराण]] से उद्धरण)</ref> | ||
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15:29, 14 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- इस व्रत में एक वर्ष तक 'ताम्बुल' (मुखवास) का त्याग करना चाहिए।
- वर्ष के अन्त में एक गाय का दान करना चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि कर्ता इस व्रत को करने से यक्षों का अधिपति हो जाता है।[1], [2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 865
- ↑ पद्म पुराण से उद्धरण)
सम्बंधित लिंक
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