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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | *[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है। | ||
(1) यह व्रत [[फाल्गुन]] [[चतुर्थी]] को रखना चाहिए। | |||
*अविघ्नविनायक व्रत में [[गणेश]] की पूजा करनी चाहिए।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (1, 524-525), कृत्यकल्पतरु (व्रत, 82-83), [[वराहपुराण]] (59|1-10 से उद्धरत)।</ref> | *अविघ्नविनायक व्रत में [[गणेश]] की पूजा करनी चाहिए।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड (1, 524-525), कृत्यकल्पतरु (व्रत, 82-83), [[वराहपुराण]] (59|1-10 से उद्धरत)।</ref> | ||
(2) यह व्रत दोनों पक्षों की चतुर्थी को तीन वर्ष तक किया जाता है। | |||
*इस व्रत में गणेश पूजन करना चाहिए।<ref>निर्णयामृत (43, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref> | *इस व्रत में गणेश पूजन करना चाहिए।<ref>निर्णयामृत (43, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref> | ||
10:31, 18 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
(1) यह व्रत फाल्गुन चतुर्थी को रखना चाहिए।
(2) यह व्रत दोनों पक्षों की चतुर्थी को तीन वर्ष तक किया जाता है।
- इस व्रत में गणेश पूजन करना चाहिए।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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