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*[[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष]] की प्रतिपदा को अर्धश्रावणिक व्रत आरम्भ होता है। | *[[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष]] की प्रतिपदा को अर्धश्रावणिक व्रत आरम्भ होता है। | ||
*अर्धश्रावणिक व्रत में एक मास तक [[अर्धश्रावणी]] नामक [[पार्वती]] की पूजा करनी चाहिये। | *अर्धश्रावणिक व्रत में एक मास तक [[अर्धश्रावणी]] नामक [[पार्वती]] की पूजा करनी चाहिये। |
16:20, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- श्रावण शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को अर्धश्रावणिक व्रत आरम्भ होता है।
- अर्धश्रावणिक व्रत में एक मास तक अर्धश्रावणी नामक पार्वती की पूजा करनी चाहिये।
- अर्धश्रावणिक व्रत में एक मास तक एक भक्त या नक्त रहना चाहिये।
- अन्त में कुमारियों एवं ब्राह्मणों को खिलाना चाहिये।[1]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रतखण्ड( 2, 753-54); व्रतप्रकाश (106-107)
अन्य संबंधित लिंक
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