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*यह उदसेविका ही है। | *यह उदसेविका ही है। | ||
*भोज कृत 'सरस्वती कण्ठाभरण' (एक काव्य शास्त्र) ने भी इसे क्रीडाओं के अंतर्गत परिगणित किया है। | *भोज कृत 'सरस्वती कण्ठाभरण' (एक काव्य शास्त्र) ने भी इसे क्रीडाओं के अंतर्गत परिगणित किया है। | ||
*भातृभाण्डा, भूतमाता एवं उरसेविका एक ही उत्सव के तीन नाम हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 367 | *भातृभाण्डा, भूतमाता एवं उरसेविका एक ही उत्सव के तीन नाम हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 2, 367</ref> | ||
12:54, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- ज्येष्ठ की प्रथमा से पूर्णिमा तक यह व्रत किया जाता है [1]।
- यह उदसेविका ही है।
- भोज कृत 'सरस्वती कण्ठाभरण' (एक काव्य शास्त्र) ने भी इसे क्रीडाओं के अंतर्गत परिगणित किया है।
- भातृभाण्डा, भूतमाता एवं उरसेविका एक ही उत्सव के तीन नाम हैं।[2]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
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