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* यह व्रत [[अष्टमी]] पर रखा जाता है। | * यह व्रत [[अष्टमी]] पर रखा जाता है। | ||
*तिथि; देवता, माताएँ; उपवास; माताओं से भक्तिपूर्वक क्षमा करना चाहिए। | *तिथि; देवता, माताएँ; उपवास; माताओं से भक्तिपूर्वक क्षमा करना चाहिए। | ||
*माताएँ कल्याण एवं स्वास्थ्य देती | *माताएँ कल्याण एवं स्वास्थ्य देती हैं।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 1, 873)</ref> | ||
*[[आश्विन]] [[नवमी]] पर राजा तथा उनकी जाति के लोगों को माताओं (नाम दिय गये हैं) की पूजा करनी चाहिए और सफलता प्राप्त करनी चाहिए। | *[[आश्विन]] [[नवमी]] पर राजा तथा उनकी जाति के लोगों को माताओं (नाम दिय गये हैं) की पूजा करनी चाहिए और सफलता प्राप्त करनी चाहिए। | ||
*ऐसी मान्यता है कि वह नारी, जिसके पुत्र मृत हो जाते हैं अथवा जिसकी केवल एक सन्तान हो, इस व्रत के सम्पादन से सन्ततिव्रती होती | *ऐसी मान्यता है कि वह नारी, जिसके पुत्र मृत हो जाते हैं अथवा जिसकी केवल एक सन्तान हो, इस व्रत के सम्पादन से सन्ततिव्रती होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत0 1, 951-952)</ref> | ||
06:20, 11 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत अष्टमी पर रखा जाता है।
- तिथि; देवता, माताएँ; उपवास; माताओं से भक्तिपूर्वक क्षमा करना चाहिए।
- माताएँ कल्याण एवं स्वास्थ्य देती हैं।[1]
- आश्विन नवमी पर राजा तथा उनकी जाति के लोगों को माताओं (नाम दिय गये हैं) की पूजा करनी चाहिए और सफलता प्राप्त करनी चाहिए।
- ऐसी मान्यता है कि वह नारी, जिसके पुत्र मृत हो जाते हैं अथवा जिसकी केवल एक सन्तान हो, इस व्रत के सम्पादन से सन्ततिव्रती होती है।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लिंक
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