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*आँगन में [[विष्णु]], [[वरुण देवता|वरुण]] एवं [[चंद्र देवता|चन्द्र]] की पूजा की जाती है।
 
*इन देवों के सम्मान में घी का होम, नीले वस्त्रों, चन्दन, मदिरा, श्वेत [[भारत के पुष्प|पुष्पों]] का दान होता है।
 
*इन देवों के सम्मान में घी का होम, नीले वस्त्रों, चन्दन, मदिरा, श्वेत [[भारत के पुष्प|पुष्पों]] का दान होता है।
*इससे वणिक सफलता प्राप्त करता है और समुद्र व्यापार एवं कृषि में असफल नहीं होता है। <ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 648-649, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>
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*इससे वणिक सफलता प्राप्त करता है और समुद्र व्यापार एवं कृषि में असफल नहीं होता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 648-649, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।</ref>
 
 
 
 
 
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11:57, 17 सितम्बर 2010 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • यह व्रत मूल नक्षत्र एवं पूर्वाषाढ़ा पर उपवास रखके करना चाहिए।
  • इसमें चार नवीन घड़ों के जल से, जिनमें शंख, मोती, लाल पौधों की जड़ें एवं सोना रखे हों, पूर्वाभिमुख होकर स्नान किया जाता है।
  • आँगन में विष्णु, वरुण एवं चन्द्र की पूजा की जाती है।
  • इन देवों के सम्मान में घी का होम, नीले वस्त्रों, चन्दन, मदिरा, श्वेत पुष्पों का दान होता है।
  • इससे वणिक सफलता प्राप्त करता है और समुद्र व्यापार एवं कृषि में असफल नहीं होता है।[1]

 

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 648-649, विष्णुधर्मोत्तरपुराण से उद्धरण)।

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