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*अन्त में एक दुधारू [[गाय]] का दान करना चाहिए।
 
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*राजा सम्पूर्ण विश्व का अधिपति हो जाता है।
 
*राजा सम्पूर्ण विश्व का अधिपति हो जाता है।
*ऐसी मान्यता है कि समुद्रव्रत से [[स्वास्थ्य]], [[धन]] एवं [[स्वर्ग]] की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 464-465, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|160|1-7 से उद्धरण)</ref>
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*ऐसी मान्यता है कि समुद्रव्रत से [[स्वास्थ्य]], [[धन]] एवं [[स्वर्ग]] की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 464-465, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|160|1-7 से उद्धरण</ref>
*कभी-कभी [[समुद्र]] के सात प्रकार कहे गये हैं, यथा [[वायु पुराण]]<ref>(वायु पुराण 49|123)</ref> एवं [[कूर्मपुराण]]<ref>(कूर्मपुराण 1|45|4)</ref> में [[लवण]], [[ईख]] के रस, [[मद्य]], [[दूध]], [[घी]], [[दही]] एवं [[जल]] के समुद्र।
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*कभी-कभी [[समुद्र]] के सात प्रकार कहे गये हैं, यथा [[वायु पुराण]]<ref>वायु पुराण 49|123</ref> एवं [[कूर्मपुराण]]<ref>कूर्मपुराण 1|45|4</ref> में [[लवण]], [[ईख]] के रस, [[मद्य]], [[दूध]], [[घी]], [[दही]] एवं [[जल]] के समुद्र।
  
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रत खण्ड 2, 464-465, विष्णुधर्मोत्तरपुराण 3|160|1-7 से उद्धरण
  2. वायु पुराण 49|123
  3. कूर्मपुराण 1|45|4

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