"भीष्माष्टमी": अवतरणों में अंतर
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*[[भीष्म]] को, जो कि कुँवारे मृत हुए थे, प्रतिवर्ष जल एवं श्राद्ध किया जाता है, जो ऐसा करे एक [[वर्ष]] में किये गये पाप से मुक्त हो जाता है और सन्तति प्राप्त करता | *[[भीष्म]] को, जो कि कुँवारे मृत हुए थे, प्रतिवर्ष जल एवं श्राद्ध किया जाता है, जो ऐसा करे एक [[वर्ष]] में किये गये पाप से मुक्त हो जाता है और सन्तति प्राप्त करता है।<ref>हेमाद्रि (काल, 628-629)</ref>; <ref>वर्षक्रियाकौमुदी (503)</ref>, <ref>तिथितत्व (58)</ref>, <ref>निर्णयसिन्धु (221)</ref>, <ref>समयमयूख (61)</ref> | ||
*जिसका पिता जीवित हो वह भी भीष्म को जल दे सकता | *जिसका पिता जीवित हो वह भी भीष्म को जल दे सकता है।<ref>(समयमयूख 61)</ref> | ||
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* | *प्रो॰ पी॰ सी॰ सेनगुप्त ने '[[समुद्रगुप्त]]' को 'समनुप्राविशट' माना है, जो कि त्रुटिपूर्ण एवं तर्कहीन है, यह मानना कि भीष्म की मृत्यु माघ कृष्ण अष्टमी को हुई न कि माघ [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] अष्टमी को सम्भव नहीं है।<ref>जे॰ ए॰ एस॰ बी॰ (जिल्द 20, संख्या 1, पत्र, पृ0 39-41, 1954 ई0)</ref> | ||
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'शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्। | 'शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्। |
11:01, 18 सितम्बर 2010 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- माघ शुक्ल अष्टमी पर किया जाता है।
- भीष्म को, जो कि कुँवारे मृत हुए थे, प्रतिवर्ष जल एवं श्राद्ध किया जाता है, जो ऐसा करे एक वर्ष में किये गये पाप से मुक्त हो जाता है और सन्तति प्राप्त करता है।[1]; [2], [3], [4], [5]
- जिसका पिता जीवित हो वह भी भीष्म को जल दे सकता है।[6]
- यह तिथि सम्भवतः अनुशासन पर्व[7] पर आधारित है।[8]
- प्रो॰ पी॰ सी॰ सेनगुप्त ने 'समुद्रगुप्त' को 'समनुप्राविशट' माना है, जो कि त्रुटिपूर्ण एवं तर्कहीन है, यह मानना कि भीष्म की मृत्यु माघ कृष्ण अष्टमी को हुई न कि माघ शुक्ल अष्टमी को सम्भव नहीं है।[9]
- भुजबलनिबन्ध[10] में दो श्लोक हैं, जो तिथितत्व, निर्णयसिन्धु एवं अन्य ग्रन्थों में उद्धृत हैं–
'शुक्लाष्टम्यां तु माघस्य दद्याद् भीष्माय यो जलम्।
संवत्सरकृतं पापं तत्क्षणादेव नश्यति।
वैयाघ्रपद्यगोत्राय सांकृमिप्रवराय च।
अपुत्राय ददात्यम्येतत्सलिलं भीष्मवर्मणे।।'
- ब्राह्मणों को भी उस उच्च व्यक्तित्व वाले योद्धा को तर्पण देने की अनुमति दी गयी है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि (काल, 628-629)
- ↑ वर्षक्रियाकौमुदी (503)
- ↑ तिथितत्व (58)
- ↑ निर्णयसिन्धु (221)
- ↑ समयमयूख (61)
- ↑ (समयमयूख 61)
- ↑ अनुशासन पर्व महाभारत (167|28)
- ↑ (माघोयं समनुप्राप्तो......त्रिभागशेषः पक्षोयं शुक्लो भवितुमर्हति)
- ↑ जे॰ ए॰ एस॰ बी॰ (जिल्द 20, संख्या 1, पत्र, पृ0 39-41, 1954 ई0)
- ↑ भुजबलनिबन्ध(पृ0 364)
संबंधित लेख
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