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'''अनन्त''' [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार एक [[नाग]] थे, जो पिता [[कश्यप]] और माता [[दक्ष]] कन्या की पुत्री [[कद्रू]] इनकी माता थी। | '''अनन्त''' [[हिन्दू]] मान्यताओं और पौराणिक [[महाकाव्य]] [[महाभारत]] के उल्लेखानुसार एक [[नाग]] थे, जो पिता [[कश्यप]] और माता [[दक्ष]] कन्या की पुत्री [[कद्रू]] इनकी माता थी। | ||
− | *गन्धर्व, अप्सरा, सिद्ध, किन्नर, नाग आदि कोई भी इनके गुणों की थाह नहीं लगा सकते, इसी से इन्हें अनन्त कहते हैं। | + | *[[गन्धर्व]], [[अप्सरा]], [[सिद्ध]], [[किन्नर]], [[नाग]] आदि कोई भी इनके गुणों की थाह नहीं लगा सकते, इसी से इन्हें अनन्त कहते हैं। |
− | *अनन्त ने समुद्र-मन्थन के लिए मन्दराचल को उखाड़ा था। | + | *अनन्त ने [[समुद्र मन्थन|समुद्र-मन्थन]] के लिए मन्दराचल को उखाड़ा था। |
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07:15, 4 मार्च 2016 के समय का अवतरण
अनन्त | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- अनन्त (बहुविकल्पी) |
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अनन्त हिन्दू मान्यताओं और पौराणिक महाकाव्य महाभारत के उल्लेखानुसार एक नाग थे, जो पिता कश्यप और माता दक्ष कन्या की पुत्री कद्रू इनकी माता थी।
- गन्धर्व, अप्सरा, सिद्ध, किन्नर, नाग आदि कोई भी इनके गुणों की थाह नहीं लगा सकते, इसी से इन्हें अनन्त कहते हैं।
- अनन्त ने समुद्र-मन्थन के लिए मन्दराचल को उखाड़ा था।
- अनन्त साक्षात नारायण का स्वरूप हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 12 |
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