संकर्षण
ब्रज के राजा दाऊजी महाराज के जन्म के विषय में 'गर्ग पुराण' के अनुसार देवकी को सप्तम गर्भ को योगमाया ने संकर्षण कर रोहिणी के गर्भ में पहुँचाया। [1] भाद्रपद शुक्ल षष्ठी के स्वाति नक्षत्र में वसुदेव की पत्नी रोहिणी जो कि नन्दबाबा के यहाँ रहती थी, के गर्भ से अनन्तदेव 'शेषावतार' प्रकट हुए। इस कारण श्री दाऊजी महाराज का दूसरा नाम 'संकर्षण' हुआ। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि बुधवार के दिन मध्याह्न 12 बजे तुला लग्न तथा स्वाति नक्षत्र में बल्देव जी का जन्म हुआ। उस समय पाँच ग्रह उच्च के थे। इस समय आकाश से छोटी-छोटी वर्षा की बूँदें और देवता पुष्पों की वर्षा कर रहे थे।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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