"वृन्ताक त्याग विधि" के अवतरणों में अंतर

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*एक रात्रि भर [[भरणी]] या मघा [[नक्षत्र]] में उपवास करना होता है।
 
*एक रात्रि भर [[भरणी]] या मघा [[नक्षत्र]] में उपवास करना होता है।
 
*एक वेदी पर [[यमराज|यम]], [[काल]], [[चित्रगुप्त]], [[मृत्यु]] एवं [[प्रजापति]] का आवाहन किया जाता है और [[गंध]] आदि पूजा की जाती है।
 
*एक वेदी पर [[यमराज|यम]], [[काल]], [[चित्रगुप्त]], [[मृत्यु]] एवं [[प्रजापति]] का आवाहन किया जाता है और [[गंध]] आदि पूजा की जाती है।
*[[तिल]] एवं [घी]] से स्वाहा के साथ यम, [[नील]], [[नीलकंठ महादेव|नीलकण्ठ]], [[यमराज]], [[चित्रगुप्त]], [[वैवस्वत]] के लिए होम किया जाता है।
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*[[तिल]] एवं [[घी]] से स्वाहा के साथ यम, [[नील]], [[नीलकंठ महादेव|नीलकण्ठ]], [[यमराज]], [[चित्रगुप्त]], [[वैवस्वत]] के लिए होम किया जाता है।
 
*वृन्ताक त्याग विधि में 108 आहुतियाँ; सोने का बना एक वृन्ताक, काली [[गाय]] एक [[बैल]], [[अँगूठी|अँगूठियाँ]], [[कर्णफूल]], [[छ़त्र]], चप्पल, काले वस्त्र का जोड़ा एवं काले कम्बल का दान; [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को भोजन कराना चाहिए।
 
*वृन्ताक त्याग विधि में 108 आहुतियाँ; सोने का बना एक वृन्ताक, काली [[गाय]] एक [[बैल]], [[अँगूठी|अँगूठियाँ]], [[कर्णफूल]], [[छ़त्र]], चप्पल, काले वस्त्र का जोड़ा एवं काले कम्बल का दान; [[ब्राह्मण|ब्राह्मणों]] को भोजन कराना चाहिए।
 
*ऐसी मान्यता है कि जो वृन्ताक को जीवन भर छोड़ देता है वह विष्णुलोक जाता है।
 
*ऐसी मान्यता है कि जो वृन्ताक को जीवन भर छोड़ देता है वह विष्णुलोक जाता है।

11:25, 9 सितम्बर 2010 का अवतरण

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड2, 909-910, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)

संबंधित लिंक

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