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*[[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष]] की अष्टमी को (अमान्त गणना के अनुसार) यह व्रत किया जाता है। | *[[श्रावण]] [[शुक्ल पक्ष]] की अष्टमी को (अमान्त गणना के अनुसार) यह व्रत किया जाता है। | ||
*यह व्रत दस वर्षों के लिए किया जाता है। | *यह व्रत दस वर्षों के लिए किया जाता है। | ||
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*कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दस सूत्रों के डोरे को रखा जाता है और उसे हाथ में बाँधा जाता है। | *कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दस सूत्रों के डोरे को रखा जाता है और उसे हाथ में बाँधा जाता है। | ||
*तुलसी की दस पत्तियों (दलों) के साथ हरि के नामों की पूजा की जाती है। | *तुलसी की दस पत्तियों (दलों) के साथ हरि के नामों की पूजा की जाती है। | ||
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12:43, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- श्रावण शुक्ल पक्ष की अष्टमी को (अमान्त गणना के अनुसार) यह व्रत किया जाता है।
- यह व्रत दस वर्षों के लिए किया जाता है।
- इस व्रत में गोपालकृष्ण देवता की पूजा की जाती है।
- कृष्ण की मूर्ति के समक्ष दस सूत्रों के डोरे को रखा जाता है और उसे हाथ में बाँधा जाता है।
- तुलसी की दस पत्तियों (दलों) के साथ हरि के नामों की पूजा की जाती है।
- दस ब्राह्मणों में प्रत्येक को दस-दस पूरियाँ दी जाती हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ व्रतार्क व्रतराज (265-269
अन्य संबंधित लिंक
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