"सर्वोषधि" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
*हेमाद्रि<ref>(हेमाद्रि व्रत खण्ड 1, पृ, 49)</ref> में आया है–'कुष्ठ मांसी हरिद्रे द्वे मुरा शैलेयचन्दनम्। वचा चम्पकमुस्ते च सर्वोषध्यो दश स्मृता:।।'
 
*हेमाद्रि<ref>(हेमाद्रि व्रत खण्ड 1, पृ, 49)</ref> में आया है–'कुष्ठ मांसी हरिद्रे द्वे मुरा शैलेयचन्दनम्। वचा चम्पकमुस्ते च सर्वोषध्यो दश स्मृता:।।'
  
 +
{{प्रचार}}
 
{{लेख प्रगति
 
{{लेख प्रगति
 
|आधार=आधार1
 
|आधार=आधार1

13:51, 10 जनवरी 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • सर्वोषधि की मुख्य ओषधियाँ हैं, यथा–मुरा, मांसी, वचा, कुष्ठ, शैलज, दो हरिद्राएँ, शुण्ठी (सूखी अदरक), चम्पक एवं मुस्ता
  • अग्निपुराण[1], मदनरत्न (शान्ति पर), कृत्यकल्पतरु (शान्तिक); वर्षक्रियाकौमुदी[2] में सर्वोषधि के दस नाम आये हैं।
  • पुरुषार्थचिन्तामणि[3]; व्रतराज[4] दस नाम है, किन्तु विभिन्न रूप से वर्णित हैं।
  • हेमाद्रि[5] में आया है–'कुष्ठ मांसी हरिद्रे द्वे मुरा शैलेयचन्दनम्। वचा चम्पकमुस्ते च सर्वोषध्यो दश स्मृता:।।'


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (अग्निपुराण 177|13)
  2. (वर्षक्रियाकौमुदी 212)
  3. (पुरुषार्थचिन्तामणि 307)
  4. (व्रतराज 16)
  5. (हेमाद्रि व्रत खण्ड 1, पृ, 49)

संबंधित लेख