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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
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*कृत्यकल्पतरु<ref>कृत्यकल्पतरु (नैयमकालखण्ड, 366</ref>, हेमाद्रि<ref>हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग चिन्तामणि, 413</ref>, एवं कृत्यरत्नाकर<ref>कृत्यरत्नाकर (493</ref> के मत से पाँच रत्न ये हैं–[[सोना]], [[हीरा]] (हीरक), [[नीलमणि]] (इन्द्रनील), [[पद्मराग]] (माणिक्य) एवं [[मोती]]।
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12:47, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • कृत्यकल्पतरु[1], हेमाद्रि[2], एवं कृत्यरत्नाकर[3] के मत से पाँच रत्न ये हैं–सोना, हीरा (हीरक), नीलमणि (इन्द्रनील), पद्मराग (माणिक्य) एवं मोती
  • इन सभी ग्रन्थों ने कालिकापुराण का उद्धरण दिया है। किन्तु हेमाद्रि[4] ने आदित्य पुराण का उद्धरण देते हुए लिखा है, कि पाँच रत्न ये हैं–सोना, चाँदी, मोती, मूँगा, एवं माणिक्य


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (नैयमकालखण्ड, 366
  2. हेमाद्रि (काल पर चतुर्वर्ग चिन्तामणि, 413
  3. कृत्यरत्नाकर (493
  4. हेमाद्रि (व्रतकण्ड 1, 47

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